सफलता रूपी फल पाने का बीज क्या है? | Akhand Gyan | Eternal Wisdom

सफलता रूपी फल पाने का बीज क्या है?

अधिकतर लोग सफलता के केवल सपने देखते हैं। कुछ लोग सफलता के सूत्रों को अपनाने की कोशिश करते हैं, पर मुट्ठी भर लोग ही ऐसे होते हैं,  जो सफलता के सूत्रों को प्रमाणित कर पाते हैं। तो चलिए, इन मुट्ठी भर लोगों से ही सफलता के सूत्रों को जानते हैं। कल्पना करते हैं कि वे हमारे सामने हैं और हम उनसे बातचीत कर रहे हैं। सबसे पहले बात करते हैं, टेलिफोन की सुविधा देने वाले वैज्ञानिक- अलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल से।

लेखक- नमस्कार सर! आपके सफल आविष्कार ने लोगों के जीवन को बहुत आसान कर दिया है।फोन के माध्यम से वे देश-विदेश के किसी भी कोने में बैठे अपने संबंधी से बात कर सकते हैं। इसके लिए हम सब आपका धन्यवाद करते हैं। साथ ही, कुछ पूछना भी चाहते हैं। दरअसल जब भी सफलता का नाम लिया जाता है तो अक्सरां लोग उसे केवल आई. क्यू. लेवल ( बुद्धिमता के स्तर) से जोड़ते हैं। क्या सच में ज़्यादा आई. क्यू. लेवल का होना ही सफलता का कारण है?

ग्राहम बेल- बिल्कुल नहीं! कुछ नया सोचना, फिर उसे साकार करना और सफल रूप देना कोई आसान कार्य नहीं है। आई. क्यू. लेवल की अपनी भूमिका है, पर उससे कहीं अधिक ज़रूरी है- लगन और दृढ़ता। कार्य पूरा होने तक निरंतर प्रयास। अंग्रेज़ी में सफलता के इस पैमाने को Perseverance ( परज़ीवरेन्स) बोलते हैं।

अमेरिका में हुई एक रिसर्च भी ग्राहम बेल की इस बात का समर्थन करती है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक मनोवैज्ञानिक हुई हैं- कैथरीन कॉक्स मिलेस। उन्होंने एक शोध के लिए देश-विदेश के नामी 301 सफल लोगों को चुना। जैसे कि न्यूटन, नेपोलियन बोनापार्ट, मार्टिन लूथर आदि। इन लोगों को इनकी सफलता के आधार पर 1 से 301 तक की क्रम संख्या दी। फिर इनकी जीवनी के आधार पर एक डाटा इकट्ठा किया। कॉक्स रिसर्च से यह जानना चाहती थीं कि इन सफल लोगों में ऐसा कौन सा गुण था, जिसके आधार पर इन्होंने सफलता पाई। इसलिए कॉक्स ने सभी 301 सफल लोगों की उम्र, आई. क्यू. लेवल, स्कूल और कॉलेज के अंक जैसे अनेक पैमानों को एक साथ रखकर अध्ययन किया। फिर जब कॉक्स ने सूची में आए पहले दस और आखिरी दस लोगों के आई. क्यू. लेवल को देखा तो यह पाया कि उनके स्तर में बहुत ज़्यादा अंतर नहीं था। अंततः कॉक्स ने यह निष्कर्ष निकाला कि आई. क्यू. के अलावा सफलता के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण यह था कि लोग अपने लक्ष्य को लेकर कितने दृढ़ (परज़ीवरेन्ट) थे।
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क्या केवल दृढ़ता रखने से सफलता हासिल हो जाएगी पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए अक्टूबर 2018  माह  की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।

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