कॉर्पोरेट जगत में बहुत से लोगों ने अपनी किस्मत आज़माई है। ऐसी बहुत सी हस्तियाँ हुईं, जिन्होंने सिफर से सफर शुरू किया और सफलता के ऊँचे शिखर तक जा पहुँचीं। वहीं, ऐसे उदाहरणों की भी कतारें लगी हैं जहाँ अर्श से शुरुआत करके लोग फर्श पर आ गिरे। चाहे बात नीचे से ऊपर जाने की हो या ऊपर से नीचे आने की- दोनों पहलुओं में मुख्य भूमिका होती है- हमारे 'निर्णय' की। मात्र एक निर्णय हमारे बिज़नेस, प्रोजेक्ट, कंपनी इत्यादि का इतिहास बदल सकता है।
अगर आप कोई बिज़नेस चलाते हैं या किसी कंपनी के मालिक हैं या अभी किसी प्रोजेक्ट को संभाल रहे हैं, तो ज़रा एक बार अपने आपसे ये प्रश्न पूछिए-
• क्या आपके निर्णयों में कम या ज़्यादा पक्षपात की मिलावट होती है?
• क्या आप चुनौती भरी घड़ियों में जोखिम भरे निर्णय लेने से कतराते हैं?
• क्या आपके निर्णयों पर अज्ञानता की छाया मंडराती है?
• क्या आपके निर्णयों में नयेपन अथवा विवेक की चमक चमचमाती है?
इन पहलुओं पर विचार करके आप अपने 'निर्णय' की क्वाॅलिटी जाँच कर सकते हैं। यदि क्वाॅलिटी में गड़बड़ है, तो शीघ्रातिशीघ्र सुधार कर लें। नहीं तो यह गड़बड़ आपको भारी नुकसान पहुँचा सकती है...
... इस सुधार के लिए समय-समय पर महापुरुषों द्वारा दिए गए सूत्रों को पूर्णतः जानने के लिए पढ़िए अक्टूबर'20 माह की हिन्दी अखण्ड ज्ञान मासिक पत्रिका।