दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित दिव्य ज्योति वेद मन्दिर एक शोध व अनुसंधान संस्था है जिसका एकमात्र ध्येय प्राचीन भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान द्वारा सामाजिक रूपांतरण करना है। वैदिक संस्कृति के प्रसार एवं वेदमंत्रोच्चारण की मौखिक परम्परा को जन-प्रचलित करने तथा संस्कृत भाषा को व्यवहारिक भाषा बनाने हेतु दिव्य ज्योति वेद मन्दिर देश भर में कार्यरत है। इन कार्यशालाओं का उद्देश्य संस्कृत भाषा सीखने तथा सही संस्कृत भाषा के उच्चारण के साथ हमारे प्राचीन वेदों के उच्चारण के महत्व को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रसारित करना है।
वेदों के ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ने बिहार के बोधगया एवं पटना क्षेत्र में 29 मई 2022 एवं 1 जून 2022 को ज्ञानांजन शलाकाया नामक विशेष वैदिक कार्यशालाओं का आयोजन किया। सत्र की अध्यक्षता दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारक एवं दिव्य ज्योति वेद मन्दिर की समन्वयक साध्वी दीपा भारती जी ने की। जिसमें YouTube DJJS World पर प्रसारित नए audio-visual रुद्राष्टाध्यायी- वेद मंत्रों का सामूहिक पाठन किया गया। जिसके बाद दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के कार्यकर्ताओं द्वारा मन्त्रों के उच्चारण स्थान के शैक्षिक डेन्चर मॉडल के प्रदर्शन द्वारा किया गया और दिव्य ज्योति वेद मन्दिर और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल पर जागरूकता दी गयी। सत्र में वेद पाठियों द्वारा अपना अनुभव सभी के समक्ष साँझा किये गए और साथ ही उच्चारण व नियमावली के विषय में प्रश्नों का समाधान किया गया l
उसके पश्चात्, कार्यकर्ताओं ने ज्योति वेद मन्दिर शब्दावली और दिनचर्यावली पर एक गतिविधि का आयोजन किया, जिसके माध्यम से छात्रों को संस्कृत में दैनिक उपयोग के शब्दों और वाक्यांशों को शामिल करने के लिए प्रेरित किया गया। अंत में साध्वी दीपा भारती जी ने दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य वचनों को साँझा किया जिससे की वेद पाठियों का उत्साह वर्धन हो सके। सत्र का समापन मंत्रोच्चारण और संस्कृत व्याकरण से सम्बंधित संदेह निवारण गतिविधि तथा दिव्य प्रसादम के साथ किया गया।
इन कार्यशालाओं में 380 से अधिक ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों ने हिस्सा लिया जिन्होंने दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा शुक्ल- यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी का विशुद्ध उच्चारण सीखा है।