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जीवन में सफलता प्राप्त करने में व्यक्तित्व का बहुत बड़ा योगदान होता है।  हमने आज तक कई महान लोगों के व्यक्तित्व के बारे में सुना व अध्ययन भी किया है  कि किस प्रकार उन्होंने अपने उदात्त व्यक्तित्व के माध्यम से कठिन से कठिन कार्य भी पूर्ण कर दिखाए।इस समय में भी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को तराशने की शुरुआत जीवन के प्रारंभिक पड़ाव अर्थात् छात्र जीवन से ही शुरू कर दी जाए। किन्तु व्यक्तित्व को कैसे बनाया व निखारा जाए ? इस प्रश्न का उत्तर भी बच्चों को सही समय पर मिले ये भी अति आवश्यक है। इसी प्रश्न का उत्तर देने व बच्चों को भविष्य की कई व्यक्तित्व संबंधी अनेक पहलुओं के विकास हेतु मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र ने 13 फरवरी 2021 को अपने पूर्व छात्रों के लिए एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया, जिसका विषय था- नींव- Personality Development & Enhancement in Communication Skills।

सत्र की अध्यक्षता पारुल सरदाना जी ने की। पारुल सरदाना जी व्यवसाय से एक  शिक्षिका है। उन्होंने जीवन में व्यक्तित्व एवं भाषा कौशल की महत्ता को बच्चों से सांझा किया।  उन्होंने बताया की किस प्रकार व्यक्तित्व न केवल व्यक्ति के रूप अपितु उसके बातचीत के तरीके, दूसरों के प्रति व्यवहार , प्रतिक्रिया, दूसरों से जुड़ने का कौशल इन सभी बातों पर समान रूप से निर्भर करता है। उत्तम व्यक्तित्व के निर्धारकों के विषय में चर्चा करते हुए  महोदया ने बताया कि किस तरह अनुवांशिकता एवं वातावरण जैसे निर्धारक तत्व व्यक्ति के व्यक्तित्व पर विशेष प्रभाव डालते हैं लेकिन उनका निर्धारण एवं चुनाव मनुष्य के हाथ में नहीं होता इसलिए एक तीसरे प्रकार का निर्धारक तत्त्व जो की हमारे आसपास निर्मित होने वाली 'परिस्थितियां' है जिस विषय में  विस्तार से विचार- विमर्श की आवश्यकता है  इस विषय को बच्चों के सामने रखा ।  आगे अन्य  निर्धारक तत्त्वों‌ पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार निरंतर प्रयास से व्यक्तित्व में परिवर्तन संभव है एवं उस परिवर्तन के लिए मनुष्य को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना पड़ता  है जैसे कभी भी किसी ज़िम्मेदारी से भागना नहीं अपितु एक उच्चतम परिणाम को ध्यान में रखते हुए कार्य को संपन्न करना। इसके अतिरिक्त उन्होंने बच्चों को समझाया कि किस तरह स्वभाव में  शिष्टता , सहयोग की भावना , सोच -समझ कर बोलने की आदत एवं कभी किसी की निंदा न करने की आदत इन सभी बातों को ध्यान में रख कर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। इसके अतिरिक्त सच्ची प्रशंसा की महत्ता को बताते हुए उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वो भी अपने आस पास के लोगों की समय समय पर उनके अच्छे कामों के लिए उनकी प्रशंसा करें , प्रशंसा करने का भाव न केवल सामने वाले को और अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित करता है बल्कि प्रशंसा करने वाले को भी लम्बे समय तक याद रखा जाता है।  उक्त आदतों के अतिरिक्त कुछ और विशेष आदतें जैसे सदैव मुस्कुराना , व्यवहार में शिष्टता , गलती पर माफ़ी मांगना ,कभी किसी को नीचा ना दिखाना ,सदैव नए कार्य के लिए उत्सुक रहना , दूसरों में अच्छी बातें देखना , बड़ों से आदरपूर्वक बात करना एवं अपने जीवन में हर चीज़ के लिए आभार व्यक्त करना  इत्यादि गुणों को अगर जीवन में अपनाया जाये तो ये व्यक्ति को निश्चित ही सफलता की ऊँचाइयों पर ले जाती है।  आगे उन्होंने कुछ महान व्यक्तियों जैसे धीरूभाई अम्बानी , ओपराह विल्फ्रे , जेके रौलिंग , स्टीव जॉब्स के व्यक्तित्व के विषय में बताते हुए बच्चों को उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया।

अंत में महोदया जी ने जीवन में ईश्वर के प्रति आस्था एवं विशवास को बनाये रखने एवं ईश्वर से प्रार्थना करने पर बल देते हुए कहा कि जिस तरह प्रकृति के नियम हमें दिखाई नहीं देते किन्तु महसूस होते है उसी प्रकार ईश्वर रुपी सत्ता भी व्यक्ति को भीतर से महसूस होती है एवं यही सत्ता व्यक्ति को परिस्थितियों से लड़ने के लिए मानसिक बल प्रदान करती है। 

सत्र को समापन की ओर ले जाते हुए साध्वी दीपा भारती जी ने पारुल जी का धन्यवाद किया तथा बच्चों को समझाया की किस तरह हमें कभी भी अपने जीवन में अच्छी आदतों को लाने से संकोच नहीं करना चाहिए एवं किस तरह एक दूसरे के साथ सामंजस्य बैठाते हुए हम आगे बढ़ सकते हैं।

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