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गाज़ियाबाद: गत 17 से 20 नवंबर तक विश्व हिन्दू परिषद्, सेवा भारती व राष्ट्र स्वयं सेवक संघ द्वारा गाज़ियाबाद के कविनगर क्षेत्र स्थित रामलीला मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय “हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2016” के मातृ सम्मलेन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया. मेले का उद्घाटन जुना अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद गिरी जी ने किया. चार दिवसीय हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले में लगभग 125 सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं ने भाग लिया; जहाँ नारी सम्मान के साथ साथ राष्ट्रभक्ति के पुनर्जागरण, वन संरक्षण, पारिवारिक एवं मानवीय मूल्यों में वृद्धि, पर्यावरण तथा गौ संरक्षण के विषयों चर्चाओं एवं प्रदर्शनियों के माध्यम से जागरूकता उत्पन्न की गयी. तृतीय दिवस पर आयोजित मातृ सम्मलेन में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी विदुषी श्वेता भारती ने महिलाओं के सम्मान व सशक्तिकरण के विषय को उठाते हुए अपने गुरुदेव की अध्यात्म आधारित मानसिकता परिवर्तन की विलक्षण विचारधारा पर प्रकाश डाला.

अंतर्राष्ट्रीय “हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2016” के मातृ सम्मलेन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को मुख्य वक्तव्य प्रदान करने हेतु आमंत्रित किया गया

सभागार में देश विदेश से उपस्थित गणमान्य अतिथि - हरिद्वार से पधारी महामंडलेश्वर साध्वी संतोषी माता जी कनखल, महामंडलेश्वर साध्वी मैत्रेयी जी, विश्व हिन्दू परिषद् के अंतर्राष्ट्रीय प्रमुख श्री दिनेश चन्द्र जी, रामकृष्ण मिशन के स्वामी शान्तात्मानन्द, स्वामी महेश्वरानन्द, यशोदा अस्पताल के प्रधान डॉ दिनेश अरोड़ा, अलीगढ़ के नेत्र चिकित्सा अस्पताल के प्रमुख डॉ शन्नो, सांसद जनरल वी.के. सिंह, एम.एल.ए. संदीप सोनी, एम.एल.ए. मुकेश शर्मा, एम.एल.ए. कपिल देव, जिला अध्यक्ष पवन तरार, भाजपा अध्यक्ष अजय शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा पूनम कौशिक, मेयर आशु वर्मा, राष्ट्र स्वयं सेवक संघ के डॉ गुणाकार तथा अन्य साधू समाज, सामाजिक नेता एवं कार्यकर्ताओं के साथ साथ समाज की सैंकड़ों सशक्त महिलाओं को संबोधित करते हुए साध्वी श्वेता भारती जी ने कहा, “नारी के संग होने वाली समस्त समस्याओं का आधार समाज में व्याप्त रुढ़िवादी एवं जटिल मान्यताएं हैं. आधुनिकता के नकाब में आज मानव ने अपनी आधारभूत चिरंजीवी अध्यात्मिक संस्कृति को विस्मृत कर दिया है. आदिकाल से ही भारत में नारी को पूजनीय स्थान प्राप्त था. यहाँ तक की भारत को पुलिंग शब्द होने पर भी माँ का दर्जा दिया गया. श्रीमद भगवद गीता एवं गंगा को भी मातृ स्वरुप में ही पूजा गया. लेकिन आज भारत की गरिमा - भारतीय नारी का गौरव, बेड़ियों में बंद करके पैरों तले कुचला जा रहा है. नारी विरुद्ध हिंसा और अपराध की शैली ने भारतीय संस्कृति के स्वरुप को विकृत कर दिया है. नारी, पुत्री, बहन, माता के रूप में समाज को शुभ संस्कारों से गढ़ती है. मनु स्मृति में कहा – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः. और जहाँ नारी का सामान नहीं, वहाँ से सुख शांति लुप्त हो जाती है. समाज में बढ़ता आक्रोश, नैतिक मूल्यों का पतन, भ्रष्ट मानसिकताएं इसी की परिचायक हैं. इसलिए नारी के प्राचीन, वेद कालीन गौरव की पुनर्स्थापना करनी अनिवार्य है. जब शैक्षिक एवं आर्थिक विकास के संग आत्मिक सशक्तिकरण की नींव रखी जाएगी तभी नारी अपनी सोयी हुई शक्ति को जान पाएगी और अपनी खोयी हुई गरिमा को पुनः प्राप्त कर पाएगी. यही है महिला सशक्तिकरण की वास्तविक परिभाषा.”

अपने गुरुदेव का नाम लेते हुए साध्वी जी ने कहा, “श्री आशुतोष महाराज जी का कथन है – नारी के सामान की पुनर्स्थापना हेतु नारी को तो उसके वास्तविक स्वरुप का बोध करवाना ही है, साथ ही पुरुष को भी नारी की गरिमा का बोध करवाना आवश्यक है. और ये दोनों ही तब तक संभव नहीं, जब तक नारी और पुरुष दोनों अध्यात्म के स्तर पर जागृत होकर अपने आत्म स्वरुप से परिचित नहीं हो जाते”. अपने अंतिम विचारों में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के लिंग समानता कार्यक्रम – संतुलन के अंतर्गत कन्या भ्रूण हत्या के विरुद्ध चलाई जा रहे राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण अभियान “तू है शक्ति” को प्रस्तावित करते हुए साध्वी जी ने बताया की “तू है शक्ति” के अंतर्गत भारत के 8 राज्यों में कुल मिलाकर 150 जेंडर क्रिटिकल जिलों के लगभग 6000 क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है. 8 प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यशालाओं के माध्यम से 2500 महिला चेंज एजेंट्स तैयार की गयी है जो गाँव गाँव गली गली जाकर समाज को जागरूक कर रही हैं.

अंतर्राष्ट्रीय “हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेला 2016” के मातृ सम्मलेन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को मुख्य वक्तव्य प्रदान करने हेतु आमंत्रित किया गया

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले में भव्य प्रदर्शनी लगायी गयी जिसके अंतर्गत संस्थान के लगभग 40 युवा कार्यकर्ताओं ने हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों व सभासदों को भारतीय संस्कृति के मूल्यों से परिपूर्ण अध्यात्मिक विचार प्रदान किये.

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान एक सामाजिक आध्यात्मिक संस्था है जिसका ध्येय है - आध्यात्मिक जागृति द्वारा विश्व में शान्ति. संस्थान द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ साथ नशा मुक्ति, अभावग्रस्त बच्चों की शिक्षार्थ, पर्यावरण संरक्षण हेतु, गो संरक्षण, संवर्धन एवं नस्ल सुधार, समाज के सम्पूर्ण स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन तथा नेत्रहीनो, अपाहिजों के सशक्तिकरण के साथ साथ जेल के कैदी बंधुओं के लिए भी समाज कल्याण के प्रकल्प चलाये जा रहे हैं.

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