दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में 16 से 20 सितंबर 2022 तक फतेहाबाद, हरियाणा में भक्ति व अध्यात्म से परिपूर्ण पाँच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन सिरसा, हरियाणा शाखा द्वारा किया गया। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती जी ने उपस्थित असंख्य श्रद्धालुओं के साथ भगवान श्री कृष्ण के जीवन से दिव्य प्रेरणाओं को साँझा किया।
साध्वी जी ने समझाया कि भगवान श्री कृष्ण का व्यक्तित्व ईश्वर के सभी अवतारों में बहुरंगी है। बाल्य काल से ही उनकी सुंदरता, ज्ञान, शक्ति व वीरता पर सब मोहित रहते थे। भगवान श्री कृष्ण का सम्पूर्ण जीवन समाज को परिवर्तन व सफल जीवन जीने की दिव्य प्रेरणाएं प्रदान करता है।
साध्वी जी ने समझाया कि हर व्यक्ति जीवन में सफलता चाहता है। भावी पीढ़ियों के समक्ष भी वह सफल जीवन का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता है। अपनी बुद्धि के अनुसार जीव परिश्रम व त्याग भी करता है लेकिन चंचल व अस्थिर मन के फलस्वरूप अपने लक्ष्य से विचलित हो जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने अभ्यास, वैराग्य व ध्यान को सफल जीवन के सूत्र बताया, जिन्हें धारण कर मनुष्य सफलता के शिखरों को छू सकता है।
अभ्यास के लिए एकाग्रचित्तता चाहिये और वैराग्य के लिए ध्यान की आवश्यकता है। जिसे केवल पूर्ण सतगुरु ही प्रदान कर सकते हैं। समय के सतगुरु से ही आत्म साक्षात्कार की विधि- ब्रह्मज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है, जैसे भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को प्रदान किया। कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि पर अर्जुन को दिव्य-चक्षु प्रदान करते समय श्री कृष्ण ने कहा था:
न तु मां शक्यसे द्रष्टुमनेनैव स्वचक्षुषा । दिव्यं ददामि ते चक्षु: पश्य मे योगमैश्वरम् ।।
कि अर्जुन तू अपने इन दो चर्म चक्षुओं से मेरे तत्त्व स्वरूप को नहीं देख सकता। इसलिए मैं तुझे दिव्य चक्षु प्रदान करता हूं।
वर्तमान समय में गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी इसी दिव्य चक्षु को जन जन को ब्रह्मज्ञान के माध्यम से प्रदान कर रहे हैं। श्री महाराज जी ने असंख्य जिज्ञासुओं को आत्म-साक्षात्कार की उसी सनातन विधि से अलंकृत किया है, जो अंतःकरण में स्थित उस परम शक्ति से हमें जोड़ती है। ब्रह्मज्ञान को विश्व के प्रत्येक व्यक्ति तक उपलब्ध करवाने हेतु डीजेजेएस निरंतर प्रयासरत रहा है।
कथा में मधुर व भावपूर्ण भजनों ने उपस्थित भक्तजनों को मंत्रमुग्ध किया। संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए श्रोतागणों ने आत्मिक विकास हेतु सत्य-पथ पर बढ़ने का दृढ़ व शुभ संकल्प धारण किया।