समाज को भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों से अवगत कराने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 10 से 16 फरवरी, 2020 तक घनौर, पटियाला, पंजाब में श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया I बड़ी संख्या में भक्तों और कई प्रतिष्ठित अतिथियों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई I मधुर भजनों ने वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया तथा आस पास के क्षेत्रों में रहने वाले भक्तों का ध्यान आकर्षित किया I
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने पवित्र कथा का वाचन किया I साध्वी जी ने कथा के प्रत्येक उपाख्यान को बड़े ही सुन्दर ढंग और अद्भुत धाराप्रवाह के साथ व्यक्त कियाI इस सात दिवसीय कार्यक्रम में साध्वी जी ने भगवान श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं के पीछे छिपे दिव्य और आध्यात्मिक रहस्यों के बारे में विस्तार से बताया I
जन्म के बाद से मनुष्य अपने आप को स्वस्थ्य और बलवान बनाये रखने के लिए प्रबल प्रयास करता है I उनके द्वारा अपनाई जाने वाली सबसे आम कोशिश, स्वयं के जीवन की ओर निर्देशित है I जीवन में धन और प्रसिद्धि मिलने के बावजूद , वह दुखी जीवन व्यतीत कर रहा है I हमारे पवित्र धर्म ग्रन्थ मानव के जन्म की उपलब्धि पर बहुत अधिक प्रकाश डालते हैं I सभी जीवित प्राणियों के बीच , मानव जीवन ईश्वर द्वारा दिया गया दुर्लभ उपहार है I
वह सब कुछ जो हम ब्रह्मांड में देखते हैं वह सब कुछ हमारे अंदर भी विद्यमान है, यही कारण है कि भौतिक आँखों के द्वारा देखे जाने वाले सभी अनुभव वास्तविकता को देखने की ओर संकेत देते हैं I ईश्वर का साम्राज्य हमारे अंदर निहित है I इसमें बाहरी दुनिया के समान सौम्यता, सौंदर्य और दिव्यता से परिपूर्ण अनुभव हैं I
भगवान श्री कृष्ण और उनकी पारलौकिक स्थिति की सत्यता कभी भी भ्रमित बुद्धि द्वारा समझी नहीं जा सकती जब तक कि उन्हें सच्चे ज्ञान की दिव्यता में ढाला न जाये I पवित्र शास्त्र ग्रन्थ यह उद्घोष करते हैं कि आध्यात्मिकता आपके जीवन में आपके आत्म साक्षात्कार के बाद ही पैदा होती है, जिसे पूर्ण गुरु की कृपा के द्वारा ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के बाद ही प्राप्त किया जा सकता है I ब्रह्मज्ञान द्वारा ही परमानन्द और शांति की प्राप्ति होती है तथा इस बात का एहसास होता है कि जो मुझमें है वही आत्मा सभी में है I कथा में संगीतकारों के द्वारा गाये गए सुमधुर एवं भावपूर्ण भजनों ने वातावरण में दिव्यता का संचार कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया I