प्राचीन वैदिक धर्मग्रंथों के अनुसार अमृत प्राप्ति हेतु देवताओं व असुरों ने सागर मंथन किया। यह माना जाता है कि सागर से अमृत कलश निकलने के उपरांत अमृत प्राप्ति हेतु देवताओं और असुरों के मध्य 12 मानव वर्षों तक भयंकर युद्ध हुआ, इसी दौरान कुंभ से कुछ बूँदें चार स्थानों- प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिर गईं। यह मान्यता है कि ये चार स्थान आध्यात्मिक शक्तियां हासिल कर चुके हैं। कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु कर्मकांड, स्नान और समारोहों में भाग लेने हेतु व मुक्ति की अभिलाषा लेकर आते हैं।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान "वसुधैव कुटुम्बकम" की भावना को साकार करने हेतु "कुंभ मेला प्रयागराज 2019" में भाग ले रहा है। 17 जनवरी, 2019 को आयोजित भक्ति संगीत कार्यक्रम-“भजन सन्ध्या” से इसका उद्घाटन भी किया गया। ईश्वर प्राप्ति की भावना से ओतप्रोत भक्ति रचनाओं का गायन करते हुए भजनों में निहित आध्यात्मिक रहस्यों को रखा गया।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी शिताभा भारती जी ने अपने प्रवचन सत्र के माध्यम से मानव जीवन के महत्व पर प्रकाश डाला। इस संसार में सभी जीवों में मानव तन ईश्वर द्वारा दिया गया दुर्लभ उपहार है। मानव को यह समझना चाहिए कि यह तन मात्र सांसारिक भोग भोगने के लिए नहीं मिला है, अपितु यह आध्यात्मिक उन्नति हेतु ईश्वर द्वारा प्रदत्त किया गया है। मानव, जिसे सृष्टि का सिरमौर कहा जाता है, वह आज दुखी जीवन जी रहा है क्योंकि वह अपनी आत्मा से अनभिज्ञ है। हमारे जीवन में सभी समस्याओं का एकमात्र कारण आत्म-स्वरूप से अनभिज्ञ होना है। जिस दिन मनुष्य को अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान हो जाएगा, तभी वह दुख और व्यथा से मुक्ति का मार्ग प्राप्त कर लेगा। वास्तविक अनंत आत्मिक आनंद को विस्मृत कर मानव अस्थायी वस्तुओं में खुशी की तलाश कर रहा है।
लाखों श्रद्धालु, कुंभ मेले में इस विश्वास के साथ पवित्र स्नान करने हेतु एकत्रित होते की वह स्वयं के पापों को समाप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो पाएं। परन्तु हमारे शास्त्रों में वर्णित हैं कि जब तक मानव स्वयं के वास्तविक स्वरूप के प्रति जागृत नहीं हो जाता, तब तक न तो वह अनंत सुख प्राप्त कर सकता है और न ही जन्म और मृत्यु के दुष्चक्र से मुक्त हो सकता है। समय के पूर्ण व आध्यात्मिक गुरु ही हृदय गुफा के भीतर छिपे रहस्य को प्रकट करके भक्ति और मुक्ति का सही मार्ग दिखा सकते हैं। पूर्ण सतगुरु ही उपदेश और मार्गदर्शन के माध्यम से वास्तविक अस्तित्व से परिचित करवाने की पद्धति “ब्रह्मज्ञान” प्रदान कर मुक्ति का मार्ग खोलने में सक्षम हैं।
अतिथियों और आगंतुकों ने अपनी भावनाओं द्वारा कार्यक्रम के प्रति आभार व्यक्त किया। श्रोताओं को पूरी तरह से शुद्ध और प्रेरणादायक आभा में लीन देखा जा सकता था और यह ईश्वर जिज्ञासुओं के लिए एक आध्यात्मिकता प्रदत्त अनुभव रहा।
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