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भारतीय शास्त्रों ने मनुष्यों के लिए योग अर्थात ईश्वर से एकाकार होने के विभिन्न रूपों के विषय में बताया है, जो मनुष्यों को दिव्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया में जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त करवाने हेतु सहायता करते हैं। इनमे मुख्यतः राजयोग- ध्यान केंद्रित करने की क्षमता, ज्ञानयोग- ज्ञान का मार्ग, कर्मयोग- निःस्वार्थ सेवा का मार्ग, भक्तियोग- भावनात्मक और प्रेमपूर्ण भक्ति का मार्ग आदि हैं। सभी मार्गों में से भक्तियोग आत्मसमर्पण के माध्यम से दिव्यता को प्राप्त करने का सहज मार्ग है। भक्ति संगीत हृदय की गहराइयों से प्रस्फुटित हो ईश्वर स्मरण को जागृत करता है। यह आंतरिक प्रसन्नता की सहज अभिव्यक्ति है और इसलिए भक्ति रचनाओं और विचारों द्वारा ईश्वर की भक्ति सहज है।

शुद्ध भक्ति भावों से ओतप्रोत सरस भक्ति संगीत द्वारा श्रोता आध्यात्मिक मूल्यों को प्राप्त करते हैं। 22 जुलाई 2018 को लुधियाना, पंजाब में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा ईश्वरीय भक्ति, आत्मसमर्पण और कृतज्ञता आदि भावनाओं से पूरित भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आनंददायक भजनों के साथ साध्वी गरिमा भारती जी ने दिव्यता, दिव्य ज्ञान और दिव्य गुरु आदि विषयों पर विचारों को रखा।

साध्वी जी ने समझाया कि जब एक भक्त जीवन में सत्यता को प्राप्त करने हेतु प्रयासरत होता है, तब आध्यात्मिक गुरु उसे ब्रह्मज्ञान प्रदान करते है। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक व संचालक परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी, वर्तमान में ऐसे सर्वश्रेष्ठ गुरु हैं जो ब्रह्मज्ञान द्वारा ब्रह्माण्डीय दिव्य संगीत से भक्तों के हृदयों को सराबोर कर रहे हैं। साध्वी जी ने कहा कि इस धरती पर सबसे सुंदर और पवित्र  संबंध "गुरु और शिष्य" का है। जो शिष्य निरंतर अपने गुरु के मार्गदर्शन के तहत इस मार्ग पर चलते हैं, वे महान आध्यात्मिकता को प्राप्त कर, महानता, बलिदान, निःस्वार्थ सेवा और आत्मसमर्पण के जीवंत उदाहरण बन जाते हैं।

भजन संध्या ने उपस्थित श्रोता सत्य को जानने की जिज्ञासा, ईश्वरीय सौन्दर्य व आत्मिक आनंद के अनुभव हेतु प्रेरित हुए। ईश्वरीय महिमा से ओतप्रोत भजनों व स्तुतियों ने इस मार्ग पर चलने वाले शिष्यों के भीतर निहित प्रमाद की गांठों को खोलने का कार्य किया। यह आयोजन ऐसा शंखनाद रहा जिसने सर्वशक्तिमान ईश्वर व समाज के प्रति मानव के समस्त कर्तव्यों का स्मरण करवाया। इस भजन संध्या ने सभी उपस्थित भक्तों के हृदयों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।
 

Bhajan Sandhya at Ludhiana, Punjab Drenched Each Soul with Divine Love of Divine Guru

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