वर्षों पूर्व पौराणिक गाथा के अनुसार देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन किया। जिसमें से अमृत निकलने पर, उसे ग्रहण करने हेतु देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया। उस संघर्ष के दौरान अमृत की कुछ बूंदे अमृत कलश में से पृथ्वी पर छलक गयी। उन्हीं स्थानों पर हर 12 वर्ष के बाद कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। इस साल अर्ध कुम्भ मेले का आयोजन प्रयागराज में किया गया है।
ऐसी मान्यता है कि कुम्भ मेले के दौरान हमारी पवित्र नदियाँ गंगा, यमुना और सरस्वती अपने प्राथमिक अमृत की चरम सीमा पर पहुँच जाती हैं। जिसमें तीर्थयात्री डूबकी लगाकर जीवन को पवित्र करते हैं। परन्तु वास्तव में कुम्भ मेले के आयोजन का उद्देश्य बहुत गहरा है। कुम्भ मेले का आरम्भ 8वीं सदी में महान संत आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा किया गया था, जिसमें नियमित समारोह के आयोजन द्वारा धार्मिक चर्चा व आध्यात्मिक विषयों पर चिंतन किया जाता था। वास्तविक अर्थों में कुम्भ मेले का आयोजन लोगों में आत्मिक ज्ञान को जागृत करना है। जिससे कल्याण की ओर गतिशील जीवन प्राप्त किया जा सकता है। इन्हीं विचारों को समझाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से 25 जनवरी 2019 को अर्ध कुम्भ मेला प्रयागराज में भक्ति संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें साध्वी दीपा भारती जी ने आध्यात्मिक तथ्यों की सत्यता को रखा।
कार्यक्रम के दौरान साध्वी जी ने आध्यात्मिक जाग्रति हेतु मानव के अंदर कैसी तड़प होनी चाहिए आदि तथ्यों पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने आधुनिक विश्व में आत्म जाग्रति के मार्ग हेतु विचारों को रखा। उन्होंने समझाया की आज हमें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति मात्र दिव्य ज्ञान की प्राचीन पद्धति “ब्रह्मज्ञान” द्वारा ही हो सकती है। पूर्ण गुरु की कृपा द्वारा ही ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति संभव है, लेकिन ज्वलंत प्रश्न है कि पूर्ण गुरु की पहचान क्या है? और हम उन्हें कैसे खोज सकते हैं? साध्वी जी ने समझाया की पूर्ण गुरु वे होते हैं जो हमें आत्मा का साक्षात्कार करवा सभी बंधनो से मुक्त कर दें। जो उस दिव्य प्रकाश को हमारे अंदर प्रगट कर दें। उन्होंने सभी को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि हमें एक ऐसा जीवन चुनना होगा जो हमारे मस्तिष्क को संतुलित रखे। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व् संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ऐसे ही पूर्ण गुरु हैं। जो भी श्रद्धालु ईश्वर को जानने के अभिलाषी हैं, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान उनका आवाहन करता है कि वह सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के सान्निध्य में आकर उस तत्व का दर्शन कर सकते हैं।
जब हमारा तन, मन और आत्मा “ब्रह्मज्ञान” की प्रक्रिया से गुजरते हैं तब एक हम स्वयं के वास्तविक रूप से परिचित हो पाते है। ऐसी ज्ञानपूर्ण सभाओं के आयोजन द्वारा कुम्भ मेले का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण होता है, जिसकी गूँज से सभी लाभान्वित हो जाते हैं।