रक्षाबंधन सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक तथा ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक ऐसा पवित्र बंधन जिसे जनमानस में रक्षाबंधन के नाम से सावन मास की पूर्णिमा को भारत में मनाया जाता है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का सामाजिक प्रकल्प मंथन –संपूर्ण विकास केंद्र अभावग्रस्त बच्चों को मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करता संपूर्ण शिक्षा कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत पूरे देश में 18 संपूर्ण विकास केंद्र हैं, जिसमें लगभग 2000 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं| इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विविध स्तर जैसे शैक्षणिक, शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक स्तर पर पोषित कर उनमें नैतिक मूल्यों को उन्नत करना है। इसी कड़ी में बच्चों के भारतीय संस्कृति में त्योहारों के सांस्कृतिक, मानवीय व् अध्यात्मिक महत्वों को पोषित करने हेतु के मंथन –संपूर्ण विकास केंद्रों में 26 अगस्त 2018 को रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया।
इस अवसर पर बच्चों ने सुन्दर - सुन्दर राखियां बनाई तथा एक दूसरे को राखी बांधकर भाईचारे का संदेश दिया। इसके साथ-साथ राखी के आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व को भी बताया गया। रक्षाबंधन पर्व के साथ-साथ संस्कृत दिवस भी मनाया गया। विश्व में विद्यमान समस्त भाषाओं की जननी संस्कृत भाषा है। जो मधुर, सब प्रकार के दोषों से रहित, अति ललित, पवित्र तथा वैज्ञानिक भाषा है। वेद, शास्त्र, उपनिषद्, गीता, रामायण, महाभारत आदि सभी भारतीय संस्कृति के ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं, जो मानव जीवन के चरम लक्ष्य (मोक्ष प्राप्ति) के साधक हैं। प्रत्येक भारतीय को अपनी भारती-संस्कृत भाषा का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। इसी कारण मंथन के बच्चों को संस्कृत भाषा के प्रति जागरूक करने के लिए एक वीडियो दिखाई भी गई। रोज़ाना प्रयोग में आने वाले संस्कृत शब्दों को बच्चों को याद भी कराया गया, ताकि वह धीरे-धीरे संस्कृत भाषा को बोलना सीख सकें और अपने जीवन में इसे प्रयोग कर सकें।
इस प्रकार मंथन – सम्पूर्ण विकास केन्द्रों ने इन दिवसों को मनाकर बच्चों के समक्ष भारतीय संस्कृति के उन पहलुओं को उजागर करा जिनसे वह अभी तक अनभिज्ञ थे।