सांस्कृतिक विरासत को समाज की आत्मा के रूप से जाना जाता है जो विभिन्न समुदायों को सांस्कृतिक विशेषताओं के आधार पर एक दूसरे से पृथक करती है। सांस्कृतिक विरासत अपने अंदर परंपराओं , रिवाज़ों तथा मूर्त और अमूर्त ज्ञान को संजोय हुए होती है। इस विलक्षण धन का संरक्षण तथा आने वाली पीढ़ी में संचरण अत्यधिक महत्वपूर्ण है जिससे आने वाली पीढ़ी को इस गतिशील संसार में अपनी पहचान, संबद्ध एवं निरंतरता का बोध हो सके।
मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान(DJJS) द्वारा संस्थापित एवं संचालित एक सामाजिक प्रकल्प है, जो अनेक वर्षों से समाज के अभावग्रस्त बच्चों को मूल्याधारित और नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर उनके व्यक्तित्व का संपूर्ण रूप से विकास करने में संलग्न है।
भारतीय संस्कृति के महान व्यक्तित्वों ,उनकी जीवनी एवं उनके द्वारा किये गए कार्यों के बारे जानने तथा वर्तमान पीढ़ी को इस ज्ञान से अवगत कराने हेतु मंथन सम्पूर्ण विकास केंद्र ने अप्रैल माह को "संस्कृति एवं विरासत माह" के रूप में मनाया। महान व्यक्तियों का हर काल में अपने कार्यों तथा जीवन शैली के माध्यम से भारतीय संस्कृति की शोभा को बढ़ाने में सदैव ही अद्वितीय योगदान रहा है। ऐसे महान व्यक्तित्वों के विषय में जानने से वर्तमान पीढ़ी को गर्व और प्रेरणा की अनुभूति होती है तथा इस विलक्षण ज्ञान से भविष्य की पीढ़ियां भी लाभान्वित होगी ।
रोचक गतिविधियों, प्रस्तुतीकरण एवं कहानियों के माध्यम से छात्रों को भगवान राम , संत सूरदास , आदिगुरु शंकराचार्य तथा भगवान महावीर के विषय में बताया गया। छात्रों को साधना एवं समाधी जिनका भारतीय संस्कृति में सदैव ही अतुलनीय योगदान रहा है, के विषय में भी स्पष्ट एवं सरल भाषा में बताया गया जिससे छात्र भारत की संस्कृति एवं समृद्ध विरासत के विषय में ज्ञान अर्जित कर सकें। सत्र में भारतीय संस्कृति के समावेशी परिवेश जहां शारीरिक रूप से विशेष लोगों के जीवन यापन करने एवं कार्य करने के समान तथा उचित अवसरों के विषय पर भी प्रकाश डाला गया।