गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की दिव्य अनुकंपा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 13 जून 2022 को मेरठ, उत्तर प्रदेश में भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुदेव के प्रबुद्ध शिष्यों द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण भजनों की श्रृंखला ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भक्ति और आध्यात्मिक रस से भिगो दिया।
साध्वी श्वेता भारती जी ने भजनों के मर्म को उजागर करते हुए समस्त शास्त्र-ग्रंथों में उद्घोषित मानव जीवन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने बखूबी समझाया कि सफलता की अंधी दौड़ में मनुष्य मन की शांति को खोता जा रहा है। धन और सफलता द्वारा अर्जित सांसारिक सुख अस्थायी होता है। जब एक भौतिक वस्तु से प्राप्त सुख समाप्त हो जाता है, तो मनुष्य दूसरी वस्तु के पीछे भागने लगता है। अर्थात मनुष्य आनंद की तलाश में निरंतर भागता रहता है। अतः यह अत्यावश्यक है कि अपने जीवन की दिशा को जानने के लिए कुछ पलों के लिए इस भाग-दौड़ को विराम देकर आत्मनिरीक्षण किया जाए।
यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी यदि कहा जाए कि इस समस्त संसार से परे एकमात्र ‘ईश्वर’ ही आनंद का शाश्वत स्रोत है। इसलिए आज इसे प्राप्त करने हेतु बहुत से लोगों ने शास्त्रों/पुस्तकों/इंटरनेट आदि से स्व-मति अनुसार ध्यान की पद्धति को अपनाना शुरू कर दिया है या ध्यान की कला सीखने के लिए बहुत से तथा-कथित संतों की भी शरण ले रहे हैं। परंतु यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि शास्त्रों के अनुसार शाश्वत आनंद के स्रोत (‘परमेश्वर’) तक पहुँचने के लिए भक्ति के उसी मार्ग का अनुसरण करना होगा जिसका प्राचीन काल के संतों ने किया था। वह मार्ग जो सभी के लिए एक है- ‘समय के पूर्ण सतगुरु की शरणागत होना।’ भगवान जब धरा पर श्री राम या श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुए तो उन्होंने भी इसी मार्ग का अनुसरण कर समस्त जगत को इस पर चलने के लिए प्रेरित किया। क्योंकि ईश्वर प्राप्ति का कोई अन्य मार्ग है ही नहीं। अतः अहम प्रश्न यह उठता है कि हम कौन से संत-महापुरुष की शरण में जाएँ? इसका उत्तर शास्त्रों में वर्णित है कि जिसने स्वयं ईश्वर को देखा हो और जो आपके अंतःकरण में ईश्वर का दर्शन करवा दे वही आपको ईश्वर तक पहुँचा सकता है।
अतः जीवन की नश्वरता को ध्यान में रखते हुए क्यों न शीघ्र ऐसे पूर्ण गुरु की खोज की जाए जो ब्रह्मज्ञान की शाश्वत विधि प्रदान कर हमें ध्यान की आनंदमय यात्रा पर अग्रसर कर दे। ध्यान की सटीक पद्धति को उजागर कर हमारे अंतर एवं बाह्य जगत में सकारात्मक ऊर्जा का संचालन कर दे, जिससे हमारा पूर्ण रूप से आध्यात्मिक एवं बाह्य विकास हो सके।
हम सब सौभाग्यशाली है कि वर्तमान युग में ब्रह्मनिष्ठ पूर्ण सतगुरु- श्री आशुतोष महाराज जी ने न केवल ब्रह्मज्ञान के अति दुर्लभ ज्ञान पर प्रवीणता हासिल की है बल्कि आज इसे जन-जन के लिए सुलभ भी करवा दिया है। अपने विश्व शांति के लक्ष्य को साकार करने हेतु वह ‘ब्रह्मज्ञान’ की विधि का उपयोग एक अद्वितीय उपकरण के रूप में कर रहें हैं और जन मानस को शांति की डगर पर आगे बढ़ा रहे हैं।
डीजेजेएस द्वारा आयोजित भजन संध्या कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनमानस को भक्ति पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना था। कार्यक्रम का समापन ‘ब्रह्मज्ञान- मानव के आंतरिक परिवर्तन का विज्ञान’ के बहुमूल्य संदेश से किया गया। संगीतमय शैली में प्रस्तुत इस गूढ़ संदेश को प्राप्त कर उपस्थित सभी श्रोतागण आत्म विभोर हुए बिना न रह पाए।