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समाज में अनिश्चित गिरावट को चुनौती देने और लोगों के बीच रचनात्मक गतिशीलता को उजागर करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 10 जून, 2018 को चंडीगढ़, पंजाब में “दिव्य गुरु” नामक भक्ति संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया। कई बुद्धिजीवियों ने इस अवसर को अपनी मूल्यवान उपस्थिति से सम्मानित किया। दुनिया की भ्रामक स्थिति का विस्तारपूर्वक व सटीक वर्णन सुन्दर और सार्थक भजनों ने सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया। पवित्र आत्माएं मन द्वारा उत्पन्न हर बाधा से आगे निकल कर मोक्ष प्राप्ति और ईश्वर के चरणों की ओर ही अग्रसर रहती हैं, जो कि वास्तविकता में परम व शाश्वत आनंद है। 

Devotional Concert “Divya Guru – A Mentor for Supreme Science of God” at Chandigarh, Punjab

श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री गरिमा भारती जी ने एक पूर्ण सतगुरु की देखरेख में आध्यात्मिक रूप से सक्रिय होने की आवश्यकता के बारे में लोगों को जागरूक किया। उन्होंने समझाया कि एक आध्यात्मिक गुरु वे हैं, जो स्वयं सर्वशक्तिमान के साथ एकाकार हो गए हैं और शरणागत को भी दिखाने की उपयुक्त क्षमता रखते हैं। विशिष्टता की ओर अग्रसर यात्रा पर साधक का नेतृत्व करने के लिए ऐसे सतगुरु ही पूर्णत: योग्य सिद्ध होते हैं। आध्यात्मिक मार्गदर्शक और एक भरोसेमंद परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हुए वह हमारी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान हमारा मार्गदर्शन करते हैं। इस प्रकार भगवान के सर्वोच्च विज्ञान का अनुभव करने के लिए एक आध्यात्मिक सतगुरु की शरण और मार्गदर्शन की सलाह दी जाती है। पूर्ण गुरु के आज्ञा व निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ने पर ही भक्ति का मार्ग सफलतापूर्वक पूरा किया जा सकता है।

साध्वी जी ने आगे कहा कि श्री आशुतोष महाराज जी एक ऐसे ही आध्यात्मिक गुरु हैं, जो “मानव परिवर्तन का सर्वोच्च विज्ञान- ब्रह्मज्ञान” सच्चे आध्यात्मिक जिज्ञासुओं को प्रदान करते हैं। उनकी कृपा से आज लाखों लोगों ने परम ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन अपने भीतर ही अनुभव किया है और अपनी आंतरिक यात्रा को शुरू किया है। उनके दिव्य दिशानिर्देश एक ब्रह्मज्ञानी को सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन में भी मिलते हैं जिससे वह जीवन के हर पल का आनंद लेता है। 

Devotional Concert “Divya Guru – A Mentor for Supreme Science of God” at Chandigarh, Punjab

कार्यक्रम में प्रस्तुत किया गया प्रत्येक भजन दिव्य आध्यात्मिक प्रेरणाओं से ओत-प्रोत था। लोगों ने अपने मूल्यवान समय को समर्पित किया और विवेकपूर्ण विचारों व गुरुदेव के दिव्य आशीर्वाद रूपी प्रसाद को लेकर वापिस लौटे। इस प्रकार यह भक्ति संगीत का कार्यक्रम अतृप्त व व्याकुल आत्माओं के लिए आध्यात्मिक प्रसन्नता प्रदान करने वाला साबित हुआ।

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