जिस प्रकार कोई दुष्ट व्यक्ति मंच पर साधू का अभिनय करने से वास्तविक जीवन में साधू नहीं हो जाता, उसी प्रकार मात्र संसारिक उपलब्धियां प्राप्त करने से मानव जीवन जीने की कला में निपुणता प्राप्त नहीं कर सकता। सहज, तनावमुक्त जीवन की अभिलाषा ईश्वर व दिव्य चेतना से जुड़कर ही पूर्ण हो सकती है। परिवर्तनशील साधनों से प्राप्त समाधान स्थिर व अपरिवर्तनशील नहीं हो सकतें।
लोगों को वास्तविक शांति और आनंद के आंतरिक सागर से जोड़ने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने 16 जून, 2019 को पठानकोट, पंजाब में एक दिव्य भक्ति संगीत कार्यक्रम "दिव्य नाद" का आयोजन किया। वर्तमान में जीवन से विलुप्त होती दिव्यता और आध्यात्मिकता को जागृत करने हेतु भक्तिमय भजनों की श्रृंखला के साथ आध्यात्मिक विचारों ने सुदृढ़ भूमिका का निर्माण किया। मधुर भजनों की स्वर-लहरियों ने श्रोताओं के भीतर भक्ति की उच्च भावनाओं को जागृत करते हुए उन्हें आत्मिक व दिव्य रंगों से रंग दिया।
कार्यक्रम की सूत्रधार साध्वी जयंती भारती जी ने कहा कि जीवन में सफलता हेतु ज्ञान, विवेक से साथ धैर्य शक्ति की भी आवश्यकता है। आध्यात्मिकता द्वारा मानसिक ऊर्जा को एक सकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर किया जा सकता है। वास्तविक ध्यान प्रक्रिया द्वारा ऐसा प्रभाव उत्पन्न होता है जो मानवीय मस्तिष्क व भावनाओं को सही दिशा में विकसित करता है। पूर्ण सतगुरु की कृपा द्वारा ब्रह्मज्ञान प्रक्रिया के माध्यम से मानव के भीतर ऐसा दिव्य स्पंदन प्रगट होता है जिससे वह “दिव्य नाद व अनहद नाद” का अनुभव कर पाता है। अनहद नाद को श्रवण कर मानव तनाव, अवसाद व विषाद आदि से मुक्त हो जाता है। अनहद नाद का दिव्य स्पंदन उमंग, उत्साह व नव चेतना का संचार करता है। इस स्पंदन से जुड़ने से मानसिक विकृतियों का नाश होता है, और मानव शांति व आनंद के सागर का अनुभव कर पाता है।
ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मा का प्रत्यक्ष अनुभव, सर्वोच्च शांति और शाश्वत आनंद का प्रगटीकरण नकारात्मक लक्षणों और प्रवृत्तियों को समाप्त करने का एकमात्र तरीका है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक और संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी इस समय के पूर्ण सतगुरु हैं और उन्होंने ब्रह्मज्ञान की सनातन विद्धि द्वारा शिष्यों को वास्तविक ध्यान की कला का ज्ञान दिया है। जिसके माध्यम से शिष्य भीतर के अनंत आनंद को प्राप्त कर रहे हैं। आयोजन में उपस्थित भक्त कार्यक्रम की दिव्य आभा से अभिभूत हुए।