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जीवन के झंझावातों में, आध्यात्मिक शांति पाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने अमृतसर, पंजाब में पांच दिवसीय शिव कथा का भव्य आयोजन किया। शिव कथा का आयोजन 17 फरवरी से 21 फरवरी, 2020 तक किया गया। कथा का वाचन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी गरिमा भारती जी ने किया। कथा का शुभारम्भ भगवान शिव के कमल चरणों में मधुर भजनों की श्रृंखला और शिव महिमा गान से हुआ, जिसने दर्शकों के हृदय को भगवान शिव के परम प्रेम से भिगो दिया।

Divine Hues of Joy and Spirituality Experienced During Shiv Katha at Amritsar

साध्वी जी ने समझाया कि भगवान शिव अध्यात्म के स्रोत्र हैं। वह सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी है। कथा के दौरान साध्वी जी ने बताया कि भगवान शिव के मस्तक पर प्रगट शिव नेत्र “दिव्य नेत्र” का प्रतीक है, जो हर मानव के भृकुटी में स्थित है। भगवान शिव को उनके मस्तक पर तीसरी आंख के लिए "त्र्यम्बक" के रूप में भी जाना जाता है। शिव नेत्र "दिव्य ज्ञान और अंतर्दृष्टि" का प्रतीक है। यह वह प्रवेश द्वार है जो व्यक्ति को आंतरिक क्षेत्र और चेतना के उच्च स्थानों तक ले जा सकता है। साध्वी जी ने उदाहरण दिया कि तीसरी आँख आत्मज्ञान की एक ऐसी अवस्था का प्रतीक है जिसे "ब्रह्मज्ञान" (दिव्य प्रकाश) के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जो केवल पूर्ण सतगुरु के माध्यम से ही जागृत होता है। “ब्रह्मज्ञान” आत्मा को सशक्त बनाता है, इसी आत्मिक बल द्वारा मानव द्वेष और निराशावाद आदि दोषों से मुक्त हो जाता है।

कथा के दौरान सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में डीजेजेएस द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक गतिविधियों को भी प्रदर्शित किया गया। "मंथन"- निर्धन व् अभावग्रस्त  बच्चों के उत्थान हेतु उन्हें शिक्षा प्रदान करने की दिशा में काम करता है क्योंकि वे कल के भविष्य हैं। अंतर्दृष्टि कार्यक्रम के अंतर्गत नेत्रहीन बंधुओं द्वारा निर्मित विभिन्न कला और शिल्प वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया गया। इसके अलावा, कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) के स्वयंसेवकों द्वारा उत्कृष्ट कार्य प्रदर्शन के कारण मंत्रमुग्ध हुए।

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