दिव्य ज्योति वेद मन्दिर ने ६७वे कन्नड़ राज्योत्सव एवं श्री कनकदास जयन्ती के उपलक्ष्य पर “ज्ञानाञ्जनशलाकया” नामक एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन दक्षिण भारत के वैदिक अनुरक्तों के लिए किया गया। यह कार्यक्रम 11 नवम्बर २०२२ को डॉ. बी. आर. अम्बेडकर भवन, मल्लासंद्र, बेंगलुरु, कर्नाटक में किया गया।
कार्यक्रम के आयोजन के लिए नई दिल्ली मुख्यालय से साध्वी दीपा भारती जी, अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्षा समेत दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के कार्यकर्ताओं की टीम ने विशेष दौरा किया।
सांस्कृतिक परिष्कारों व वैदिक ध्वनि तरंगों से अलंकृत इस भव्य कार्यक्रम में दक्षिण भारत के विशेष अतिथि गणों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था, प्रधान अर्चकरू गवि गंगाधरेश्वर देवस्थान अगमाचार्य डॉ. सोम सुन्दर दीक्षित जी द्वारा श्री रुद्राभिषेक का दक्षिण भारतीय परम्परानुसार पूजन एवं पञ्चशिवलिंग अभिषेक। कार्यक्रम का आरम्भ नाद स्वरम् की ध्वनि तरंगों की आगवानी में दिव्य शोभा यात्रा के साथ हुआ। प्रथानुसार, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के स्वरुप को अग्रणी रख पञ्चशिवलिंगों को वेद मन्दिर के कार्यकर्ताओं ने ससम्मान अपने करों में उठाकर शोभा यात्रा को श्री अन्जनेय देवस्थान से कार्यक्रम स्थल तक गति प्रदान की।
कार्यक्रम स्थल पर पहुँचने के उपरान्त, अगमाचार्य सोम सुन्दर दीक्षित जी व दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के कार्यकर्ताओं द्वारा पञ्च शिवलिंगों को विधिवत स्थापित कर, श्री रुद्र प्रश्न (कृष्ण यजुर्वेद) व श्री शिव सहस्रनाम का उच्चारण श्री रुद्राभिषेक के साथ आरम्भ किया गया।
इस भव्य कार्यक्रम को देखने दक्षिण भारत के विभिन्न राज्य जैसे तेलंगाना, तमिल नाडू, कर्नाटक आदि से वैदिक अनुरक्त उपस्थित हुए। उद्देश्य केवल एक, दक्षिण भारत में प्रथम बार होने जा रहे विख्यात दिव्य ज्योति वेद मन्दिर द्वारा ज्ञानाञ्जनशलाकया कार्यक्रम का साक्षी होना। यह कार्यक्रम मुख्यतः तीन भाषओं में उपस्थापित किया गया जिसमें संस्कृत भाषा की प्रधानता रही।
रुद्राभिषेक समाप्ति के उपरान्त, समस्त विद्वत जनों को एक पैनल चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया। इस चर्चा की अध्यक्षता साध्वी दीपा भारती जी ने की वहीं पैनल चर्चा में अगमाचार्य डॉ. सोम सुन्दर दीक्षित जी, स्वामी श्री मंगलानाथानंद जी महाराज, रामकृष्ण मिशन, शिवनहल्ली, संस्थान की प्रचारिका साध्वी ऋतु भारती जी एवं साध्वी निशंका भारती जी उपस्थित थे।
अगमाचार्य डॉ. सोम सुन्दर दीक्षित जी ने श्री रूद्र प्रश्न में उक्त श्री रुद्रम् के वैज्ञानिक पक्षों पर विस्तार से अभिव्यख्यान दिया। इसके बाद साध्वी निशंका भारती जी ने अगमचार्य जी के शब्दों का सार सबके समक्ष रखते हुए ब्रह्मज्ञान का सन्देश सबको दिया। तदोपरान्त, स्वामी श्री मंगलानाथानंद जी महाराज ने सबके समक्ष स्वामी विवेकानंद जी द्वारा विदेशों में वैदिक संस्कृति के प्रसार और वेदों के पुनरुद्धार में आधुनिक युग के संत समाज के योगदान पर एक विशिष्ट चर्चा की। उनके सन्देश को सुलभ कर वेद विदित आत्म-दर्शन के मर्म को सबके समक्ष रखा साध्वी ऋतु भारती जी ने रखा। सारांशतः इस विशिष्ट पैनल चर्चा के माध्यम से यही उद्भासित किया गया कि किस प्रकार हम आज के युग में अपनी संस्कृति के रक्षण के लिए सज्ज रहें एवं इसके प्रचार-प्रसार में संलग्न रहें।
दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के कार्यकर्ताओं ने विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। साध्वी उन्मेषा भारती जी ने दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के चरण कमलों में अपना आभार प्रकट करते हुए उपथित अतिथि जानों, कार्यकर्ताओं व वैदिक अनुरक्तों का धन्यवाद प्रकट किया। कार्यक्रम को अंतिम क्षणों की ओर ले जाते हुए, दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के नन्हे बच्चों ने भगवान शिव व माता पार्वती कृत एक पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का विराम महा मंगलआरती व महाप्रसादम् के साथ हुआ। सभी ने इस विलक्षण कार्यक्रम के लिए दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी और दिव्य ज्योति वेद मन्दिर का अभिवादन किया।
भारतीय परम्परा के अनुसार हर शुभ कार्य का आरम्भ एक विधिवत पूजन के साथ होता है निःसंदेह इस कार्यक्रम ने भी दक्षिण भारतीय राज्यों में दिव्य ज्योति वेद मन्दिर के क्षितिज का विस्तार किया व आगामी वैदिक क्रांति का बिगुल बजा दिया।