दिव्य ज्योति वेद मन्दिर, शोध-आधारित शैक्षणिक संस्थान, द्वारा एक वृहद् राष्ट्रिय सँव्विद् रुद्राष्टाध्याय्यभ्यासः का आयोजन किया गया। इस अद्वितीय कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली स्थित दिव्य धाम आश्रम, क़ुतुबगढ़ रोड, जटखोड़ मोड़, दिल्ली में आयोजित किया गया।
इस दस दिवसीय आवासीय कार्यक्रम में सम्पूर्ण भारतवर्ष से लगभग ५०० ब्रह्मज्ञानी वेद पाठी सामूहिक वैदिक मन्त्रोच्चारण हेतु एकत्रित हुए। यह सँव्विद् दो चरणों में आयोजित किया गया, 8 जून से 12 जून तक (प्रातः 6 बजे से रात्री 10 बजे तक) ब्रह्मज्ञानी वेदपाठी भाइयों हेतु व 15 जून से 19 जून (प्रातः 6 बजे से रात्री 10 बजे तक) तक ब्रह्मज्ञानी वेद पाठी बहनों हेतु।
कार्यक्रम सामूहिक ध्यान व वेदमन्त्रोच्चारण के साथ आरंभ हुआ व साथ ही, वैदिक शिक्षा एवं प्रातिशाख्यों पर विशिष्ट सत्र भी आयोजित किया गया। संस्कृत आभा से ओत-प्रोत इस कार्यक्रम को अधिक रोचक बनाने हेतु विभिन्न गतिविधियाँ जैसे गुञ्जन सत्र, जिह्वा विवर्तकः सत्र, निरंतरता सत्र आदि सम्मिलित किये गए जिसके माध्यम से सभी के भीतर संस्कृत और वेदों के अध्ययन हेतु और रूचि बढ़ी। इस राष्ट्रीय सँव्विद् में 7 से 70 वर्ष की आयु के सभी प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्त, पीएच.डी विद्वान, कोर्पोरेट्स एवं स्कूली विद्यार्थी जन सम्मिलित हुए। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या, साध्वी दीपा भारती जी, वैश्विक कार्यकारिणी अध्यक्षा, द्वारा वर्णोच्चारण व मन्त्रोच्चारण की स्पष्टता पर विशिष्ट सत्र लिए गए। साथ ही, स्वामी नरेन्द्रानंद जी, सचिव, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, स्वामी अदित्यानंद जी, अध्यक्ष, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान व अन्य प्रचारकों दारा विशेष व्याख्यान भी राष्ट्रीय सँव्विद् में सम्मिलित रहे। कार्यक्रम में 12 जून एवं 19 जून को सायं 4 बजे से 6:30 बजे तक एक विशेष सत्र भी आयोजित किया गया जिसके अंतर्गत देश के विभिन्न प्रान्तों से वैदिक विद्वान् व् वैदिक अनुरक्तों ने सभा को संबोधित किया। श्री. दिनेश कामत, संगठनमंत्री, संस्कृत भारती, आचार्य रमेश चंद्र शास्त्री, संस्थापक व अध्यक्ष,आलोक भारती पब्लिक स्कूल, रोहिणी, दिल्ली, डॉ छवि कृष्ण आर्य, प्रधानाचार्य, शंकराचार्य संस्कृत महाविद्यालय, भारतीय विद्या भवन एवं आचार्य प्रेम नर्यं शर्मा, पूर्व प्राचार्य, संस्कृत महाविद्यालय धर्म संघ, दिल्ली ने सम्मिलित हो कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
सँव्विद् के समापन दिवस पर एक विशाल यज्ञ-अनुष्ठान भी किया गया। राष्ट्रिय सँव्विद् रुद्राष्टाध्याय्यभ्यासः इस कार्यक्रम से दिव्य ज्योति वेद मन्दिर वेदों में निहित सनातन ज्ञान एवं वैदिकी संस्कृति को पुनः जागृत कर विश्वपटल पर अलंकृत करने हेतु दृढसंकल्पित है।