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दीपावली या दिवाली अर्थात "रोशनी का त्योहार" शरद ऋतु में हर वर्ष मनाया जाने वाला एक प्राचीन हिंदू त्योहार है। दिवाली भारत के सबसे बड़े और प्रतिभाशाली त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। यह त्योहार विश्व भर में अपार भाईचारे, उत्साह एवं स्नेह के साथ मनाया जाता है। इसी महत्वपूर्ण त्योहार को  मंथन- संपूर्ण विकास केंद्र में बड़े चाव से मनाया गया। सभी केंद्रों को दीयों एवं रंगोली से सजाया गया। देश में बढते प्रदूषण के  कारण सभी बच्चों ने Eco friendly  दिवाली मनाने का प्रण लिया। इसी संदेश को लोगों तक पहुँचाने के लिए बच्चों ने स्लोगन बनाए और लोगो को जागरूक करने के लिए रैली निकाली। इसी के साथ-साथ बच्चो ने भावपूर्वक मिट्टी से गणेश जी की मूर्तियाँ भी बनाई।

DIWALI – THE FESTIVAL OF LIGHTS CELEBRATED MY MANTHANITES

दिवाली के अवसर पर फसल की कटाई के बाद किसान अपनी प्रसन्नता को एक दूसरे को मिठाइयाँ देकर व्यक्त करते है। इस परंपरा को बनाए रखने के लिए, छात्रों ने एक दूसरे के साथ मिठाई खिलाई। टीचर्स ने पांच दिनों के त्यौहार के महत्व को समझाया जिसमें, अर्थात् धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के  प्रचारक स्वामी गुरूकृपानंद जी ने दिवाली के महत्व को बताते हुए बच्चों को ज्ञान के प्रकाश से अपने जीवन को प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया और श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा प्रदत दिव्य विचारों को देकर उनका मार्गदर्शन किया।

DIWALI – THE FESTIVAL OF LIGHTS CELEBRATED MY MANTHANITES

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