Read in English

अबोहर, पंजाब के स्वामी केशवानंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल में छात्रों के लिए नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रतिनिधि स्वामी विज्ञानानंद जी ने कार्यक्रम में छात्रों के समक्ष संस्थान के उद्देश्य, विचारधारा व गतिविधियों को रखा। स्वामी जी ने छात्रों के साथ चर्चा करते हुए बताया कि एक सर्वश्रेष्ठ मानव बनने के लिए सांसारिक ज्ञान के साथ-साथ अनिवार्यता है “स्वयं को जानने व स्वयं के ज्ञान” की। उन्होंने प्रमाणिक साक्ष्यों व जीवन चरित्रों के उद्धरण से समझाया कि जिस भी मानव ने आंतरिक व स्वयं के ज्ञान को पाया है वह हर क्षेत्र में शिखर को स्पर्श करने में सफल हुआ है। भारतीय संस्कृति के अनेक ऋषि, मुनि व संत इस ज्ञान में परांगत थे तभी तो उन्होंने उन रहस्यों को हज़ारों वर्षों पहले ही खोज लिया था जिसे आज के वैज्ञानिक खोजने में सफल नहीं हुए हैं।

DJJS Lecture on Moral Values Enthralled Students at Swami Keshwanand School, Abohar, Punjab

स्वामी जी ने कहा कि ब्रह्मज्ञान ही वह माध्यम है जिसके द्वारा स्वयं से परिचय सम्भव है व मानव उस सर्वश्रेष्ठ ज्ञान को जान सकता है। ब्रह्मज्ञान के आधार पर ही मानव नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ता से आकार दे सकता है। नैतिक मूल्य जैसे कि ईमानदारी, भाईचारा, बंधुत्व, एकता, समर्पण व त्याग आदि गुण इसी दिव्य ज्ञान के अभ्यास के प्रगट होते हैं। मानव जीवन मात्र भोग में व्यय करने के लिए प्राप्त नहीं हुआ है अपितु इसका लक्ष्य इससे बहुत महान है। दिव्य चेतना से जुड़कर ही हम प्रत्येक क्षण स्वयं को दिव्यता से पोषित कर सकते है।  

उन्होंने आगे कहा कि आज के भौतिकवादी समाज से यह बुनियादी नैतिक मूल्य समाप्त हो रहे हैं। इसलिए आज नितांत आवश्यकता है कि एक बेहतर समाज व भविष्य के लिए हम इन गुणों को जीवन में लाने हेतु प्रयास करे। उन्होंने कहा कि सर्व श्री आशुतोष महाराज जी एक महान दिव्य व्यक्तित्व हैं, जो ब्रह्मज्ञान के माध्यम से श्रेष्ठ मनुष्यों का निर्माण कर रहे हैं। एक पूर्ण सतगुरु ही सनातन ब्रह्मज्ञान तकनीक को एक मानव को प्रदान कर उसका पूर्ण विकास करने में सक्षम होते हैं।

DJJS Lecture on Moral Values Enthralled Students at Swami Keshwanand School, Abohar, Punjab

ब्रह्मज्ञान सर्वोच्च अवस्था को प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग है, जिसके द्वारा मानव नैतिक मूल्यों को जीवन में साकार कर सकता है। वर्तमान में मानव, मन के आधीन होकर विकृत मार्ग का चयन कर लेता है परन्तु ब्रह्मज्ञान पर आधारित ध्यान का अभ्यास मन को इतना सशक्त बना देता है कि वह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी उचित निर्णय ले सकता है।

Subscribe Newsletter

Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox