मानव समाज को ब्रह्मज्ञान का शाश्वत विज्ञान उपलब्ध कराने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 29 अप्रैल से 5 मई 2022 तक शिमला, हिमाचल प्रदेश में भक्ति एवं अध्यात्म से ओत-प्रोत श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। सात दिवसीय कथा ज्ञानयज्ञ में प्रसिद्ध विभूतियों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में भक्तों की उपस्थिति दर्ज की गई। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं में अंतर्निहित गहरे आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया। भक्ति रचनाओं की मधुर तानों ने उपस्थित लोगों के हृदयों को आनंद से भर दिया।
साध्वी जी ने अपनी पवित्र वाणी द्वारा भारतीय पवित्र शास्त्रों में निहित आध्यात्मिक रहस्यों और मानव जीवन के उद्देश्य से संबंधित अनेक प्रश्नों के उत्तर दिए। भगवान श्री कृष्ण धर्म, आध्यात्मिकता, सर्वोच्च प्रेम और भक्ति के पर्याय हैं। भगवान श्री कृष्ण ने कई बार यह समझाया कि दिव्य प्रेम एक ऐसी घटना है जिसे केवल आत्मा के स्तर पर ही अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने गोपियों, ग्वालों, अर्जुन, दौपदी, विदुर और कई अन्य भक्तों की भक्ति के आदर्शों को समाज के सामने प्रस्तुत किया। शाश्वत प्रेम की यह यात्रा आत्मा को जानने से शुरू होती है जो परमात्मा का अंश है, और इसलिए आनंद का स्रोत भी है। परंतु प्रेम और आनंद के इस शाश्वत स्रोत का प्रयोग भगवान श्री कृष्ण जैसे समय के पूर्ण गुरु द्वारा ध्यान की वास्तविक कला को जानने के बाद ही किया जा सकता है।
साध्वी जी ने आगे कहा कि यह आध्यात्मिक खोज ही हर इंसान का मुख्य लक्ष्य है और इसके आगे समस्त भौतिक उपलब्धियां गौण हैं। इसलिए आज समाज को ऐसे ही तात्विक ज्ञान की तलाश करने की ज़रूरत है। भगवान श्री कृष्ण ने भी भगवतगीता में कहा है कि जो वास्तविक धर्म में विश्वास नहीं रखते, वे मुझे प्राप्त नहीं हो सकते हैं। वे पुनः नश्वर संसार में दुःख भोगने हेतु लौट आते हैं।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी इस समय के ऐसे ही पूर्ण सतगुरु हैं, जिन्होंने असंख्य मानवों को सर्वोच्च शक्ति से जोड़ने वाले ब्रह्मज्ञान पद्धति से दीक्षित किया है। साध्वी जी ने सतगुरु और शिष्य के कई उदाहरणों को देते हुए समझाया कि सतगुरु ज्ञान और भक्ति के अथाह सागर हैं, जो जीवात्मा की कई जन्मों की आध्यात्मिक प्यास को तृप्त करते हैं।
कथा स्थल का वातावरण दैवीय स्पंदनों से गूंज उठा और भक्तों ने भगवत महिमा के परमानंद का आनंद अनुभव किया। निःस्वार्थ स्वयंसेवकों ने विभिन्न काउंटरों द्वारा डीजेजेएस द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक कार्यक्रमों जैसे अंतरदृष्टि (नेत्रहीनों एवं विकलांगों की सहायतार्थ), अंतरक्रांति (बंदी सुधार एवं पुनर्वास कार्यक्रम ), संरक्षण (पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम) व मंथन (सम्पूर्ण शिक्षा कार्यक्रम) आदि को संगत के समक्ष प्रस्तुत किया। उपस्थित लोगों ने डीजेजेएस के प्रयासों और कार्यों की अत्यधिक प्रशंसा की और आत्मा को समृद्ध व सच्चे मार्ग की तलाश करने हेतु दृढ़ और सकारात्मक संकल्प लिया।