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वास्तविकता में देश भक्ति ऐतिहासिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक निष्ठा एवं मातृ भूमि एवं उसमें रहने वाले नागरिकों के प्रति सच्ची प्रेम भावना का प्रतीक है। आध्यात्म एवं देशभक्ति परस्पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और सदैव वसुधैव कुटुंबकम की भावना का संचार करते हैं। देश भक्ति मात्र अपने देश से प्रेम नहीं, अपितु सम्पूर्ण मानवता से प्रेम करना सिखाती है एवं सदैव प्रेम एवं बंधुत्व की भावना का ही संचार करती है। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य सानिध्य में दिनांक 26 जुलाई को ग्वालियर, मध्यप्रदेश के मोरार स्तिथ "सरस्वती शिशु मंदिर" स्कूल में देशभक्ति के विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य छात्र एवं शिक्षक समुदाय के मध्य आध्यात्मिक-देशभक्ति का उत्साह भरना था। साध्वी मदालसा भारती जी ने इस सभा को सम्बोधित कर उनमें देश भक्ति की भावना का संचार किया।

DJJS Organized Lecture on Patriotism Defining True Patriotic Fervour at Gwalior, M.P

इस कार्यक्रम में देशभक्ति को विविध प्रकार के ऐतिहासिक, प्राचीन एवं आधुनिक मूल्यों, घटनाओं एवं दृष्टांतों के माध्यम से समझाया गया।  साध्वी जी ने समझाया कि देशभक्ति मात्र अपने देशवासियों के हितों को ध्यान रखना ही नहीं हैं अपितु इससे परे सम्पूर्ण मानव जाति के प्रति संवेदन शीलता ही सच्ची देश भक्ति है। आध्यात्मवाद धर्म, संस्कृति एवं राजनीतिक सीमाओं से परे है। एक सच्चा देश भक्त वही है जो आत्म जाग्रत है एवं अपने व्यक्तिगत हितों का त्याग करते हुए सदैव मानवता के उत्थान के लिए तत्पर रहता है। स्वामी विवेकानंद जी ने भी भारत के नागरिकों को एक सच्चा देश भक्त बनने के लिए प्रेरित किया गया जिसके लिए आवश्यकता है आत्म जाग्रत होकर स्वयं के वास्तविक रूप को जानने की। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी का यह उद्घोष है कि आत्म जाग्रति ही विश्व शान्ति की कुंजी है। एक आत्म जाग्रत व्यक्ति ही अपनी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित कर उन्हें पुनः सकारात्मक भावनाओं में बदलने में सक्षम है।  आत्म विश्लेषण कर स्वयं के दोषों को दूर करने से युद्ध, अविश्वास एवं बदला लेने जैसी बुरी भावनाओं में कमी आएगी।  आत्म उन्मुख व्यक्ति ही सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना कर विश्व शान्ति जैसे महान कार्य एवं राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकता है। साध्वी जी ने अंत में समझाया कि आत्म साक्षात्कार से ही आंतरिक परिवर्तन संभव है और मनुष्य के यही आतंरिक परिवर्तन समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं एवं समरसता एवं सार्वभौमिक भाईचारे जैसी भावनाओं का विकास करते हैं। हमारे शास्त्रों में भी निहित है कि एक समाज का नैतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान ही सार्वभौमिक उत्थान को बढ़ावा देता है। जब मानव  भीतर से दृढ संकल्पित होता है तभी  वह देशभक्ति के वास्तविक आनंद को सुनिश्चित कर पाता है एवं ओर अधिक निष्ठां एवं उत्साह से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकता है। आध्यत्मिक विकास से ही मानव, समाज एवं सम्पूर्ण धरा मंडल में परिवर्तन एवं विकास संभव है।

DJJS Organized Lecture on Patriotism Defining True Patriotic Fervour at Gwalior, M.P

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