गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की विशेष अनुकम्पा से दिनांक 22 अगस्त, 2019 को अबोहर, पंजाब में स्तिथ सर्वहितकारी विद्या मंदिर में तनाव एवं चिंता जैसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया जहाँ डीजेजेएस प्रतिनिधि स्वामी विज्ञानानंद जी ने वर्तमान उदाहरणों एवं विभिन्न परिदृश्यों के माध्यम से तनाव जैसी गंभीर परिस्थिति से निकलने के उपाय साँझा किये।
स्वामी जी ने बताया कि ब्रह्मज्ञान ही वह पद्द्ति है जिसके माध्यम से तनाव को कम किया जा सकता है। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से हम स्व में स्थित हो पाते हैं एवं जीवन में सकारात्मकता, एकाग्रता एवं नैतिक मूल्यों को प्राप्त कर पाते हैं। ब्रह्मज्ञान की ही मदद से हम एक अनुशासित एवं तनाव मुक्त जीवन जी सकते हैं। आज से कुछ वर्ष पूर्व हम इस शब्द से कहीं अनभिज्ञ थे, किन्तु वर्तमान परिवेश में यह शब्द हमारे जीवन में इतना घुल चुका है कि छोटे छोटे बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं।
उन्होंने आगे समझाया कि मानव के भीतर असीम क्षमताएं होती हैं जिसकी मदद से हर कार्य संभव किया जा सकता है। आत्म जाग्रति के माध्यम से ही इन क्षमताओं को पुनः जाग्रत किया जा सकता है। मानव हृदय एक दोधारी तलवार के समान है जिसका यदि उचित तरीके से प्रयोग न किया जाए तो यह स्वयं मानव के विनाश का कारण बन जाता है। किसी भी कार्य के महत्व को समझने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य का विवेक जाग्रत हो जो कि केवल ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही संभव है। निर्बाध गति से चलती विचारों की श्रृंखला में विवेक रुपी सेतु के निर्माण की आवश्यकता है जो कि एक पूर्ण सतगुरु की कृपा से ही संभव है।
ब्रह्मज्ञान की यह पुरातन विद्या हमारे विचारों, दृष्टिकोण एवं जीवन को एक सही दिशा प्रदान कर हमें सकारात्मकता की ओर उन्मुख करती है। एक सकारात्मक सोच ही तनाव को जड़ मुक्त करने में सहायक सिद्ध होती है। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही मनुष्य सवयं में स्थित हो उस परमानन्द की प्राप्ति कर पाता है। हमारे ऋषि मुनियों द्वारा बताए गए इस ध्यान-साधना के मार्ग को आज के वैज्ञानिको ने भी तनाव मुक्ति की अचूक औषधि माना है।
आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की केवल एक ही युक्ति है -ब्रह्मज्ञान