अनादि काल से ही योग को मन, शरीर एवं आत्मा के बीच सामंजस्य स्थापित करने का एक सुन्दर माध्यम माना गया है। न केवल आयुर्वेद अपितु आधुनिक शोध भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि नियमित योग अभ्यास ही स्वस्थ जीवन शैली एवं सुदृढ़ प्रतिरक्षा प्रणाली की कुंजी है।
आसन, प्राणायाम जैसी यौगिक क्रियाएं हमारे शरीर को स्वस्थ एवं चित्त को एकाग्र करने में सहायक होती हैं। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य अनुकम्पा से दिनांक 16 अगस्त, 2019 को ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड में योग और ध्यान' विषय पर आधारित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जहाँ साध्वी ओमप्रभा भारती जी ने योग एवं ध्यान से प्राप्त होने वाले चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभों को सभी के समक्ष रखा। यह कार्यक्रम यौगिक क्रियाओं, ध्यान एवं सामयिक चर्चा का एक बहुत सुन्दर समन्वय रहा ।
साध्वी जी ने योग एवं आध्यात्म के मध्य सम्बन्ध को बहुत खूबसूरती से समझाया। उन्होंने बताया कि योग हमारे मन एवं मस्तिष्क को शांत कर हमारे भीतर एक नयी ऊर्जा का संचार करता है। वहीं ध्यान साधना के माध्यम से हम तनाव और अवसाद जैसी जटिल व्याधियों से दूर सकारात्मकता की ओर उन्मुख होते हैं। ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही ध्यान-साधना की सही विधि को जाना जा सकता है एवं उसके निरंतर अभ्यास से ही मानव ह्रदय का रूपांतरण संभव है। योग भारतीय वैदिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण भाग है जो कि सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक विषय है जो मन एवं शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर बल देता है।
साध्वी जी ने समझाया कि एक कुशल मार्गदर्शक के मार्गदर्शन में यौगिक क्रियाओं एवं ध्यान-साधना के नियमित अभ्यास से हम शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ एवं सुदृढ़ता को प्राप्त करते हैं। ब्रह्मज्ञान में दीक्षित व्यक्ति ध्यान साधना के माध्यम से उस अवस्था को प्राप्त करता है जहाँ वास्तिवकता में उसका परमसत्ता से एकीकरण होता है। श्रोतागणों को योग अभ्यास की सही पद्द्ति बताने के साथ-साथ उन्हें आत्म जाग्रति की ओर उन्मुख कर उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना इस कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य रहा।