समकालीन युग में दुनिया तेज गति से बदल रही है चाहे वह तकनीकी प्रगति का क्षेत्र हो या फिर कोई अन्य क्षेत्र। वर्तमान युग की अनेक जटिलताएँ जैसे की शिथिलता, कार्य-जीवन असंतुलन और संबंध प्रबंधन आदि से समाज जूझ रहा है। आधुनिक जीवन की चुनौतियों का गहनता से सामना करने के लिए, उत्पादक प्रबंधन कौशल को समझना और अभ्यास करना अनिवार्य है। इस विषय पर चर्चा करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को OHM क्वींसलैंड द्वारा 17 अगस्त 2019 को Moorooka, Brisbane, ऑस्ट्रेलिया में “गीता और मैनेजमेंट” विषय पर एक कार्यशाला आयोजित करने के लिए आमंत्रित किया गया। श्रीमद्भागवत् गीता को भगवान श्री कृष्ण के सर्वोच्च ज्ञापन के रूप में स्वीकार किया जाता है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रतिनिधि साध्वी ओम प्रभा भारती जी ने कार्यशाला की विषयवस्तु को वर्तमान समय के अनुरूप विविध रूप, प्रोटोटाइप्स, प्रबंधन अवधारणाओं, संवादात्मक गतिविधियों और तार्किक दृष्टांतों के साथ प्रभावशाली ढ़ंग से रखा।
डीजेजेएस प्रतिनिधि ने कहा कि श्रीमद्भागवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण की दिव्यता और धर्मिता के साथ-साथ ज्ञान, भौतिक दर्शन और एक प्रभावी प्रबंधन कौशल भी विद्यमान है। साध्वी जी ने भगवान कृष्ण द्वारा प्रतिपादित शिक्षाओं में निहित प्रबंधन और आध्यात्मिक रहस्यों को प्रस्तुत किया। एक गुरु के रूप में भगवान कृष्ण ने योग, भक्ति और कर्म के सर्वोच्च सत्य को अर्जुन और अन्य लोगों को प्रदान किया। हमारे शास्त्र भगवान कृष्ण को आत्म-साक्षात्कार के सनातन विज्ञान पर आधारित यथार्थवादी और व्यावहारिक समाधानों के पूर्व प्रचारक और शिक्षक के रूप में स्वीकार करते हैं। स्थिर खुशी पाने हेतु बुद्धि को नकारात्मक मानसिकता से हटाकर सकारात्मक मानसिकता की आवश्यकता होती है। माइंडफुल मेडिटेशन की सटीक तकनीक के जरिए भावनाओं और तनावों पर नियंत्रण किया जा सकता है। साध्वी जी ने कहा की आजकल ध्यान एक आम चलन बन गया है, लेकिन आंतरिक आत्मविश्वास, आत्म-नियंत्रण और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करने के लिए ध्यान की पूर्ण तकनीक के बारे में अभी भी अज्ञानता है। पूर्ण संत द्वारा डिवाइन आई “दिव्य नेत्र” ’का उद्घाटन वास्तविक ध्यान का आरम्भ है। वास्तविक ध्यान में लगा मन सकारात्मक कार्यों को स्थगित नहीं करता है और आसपास के विकर्षणों व नकरात्मकताओं की उपस्थिति से अप्रभावित रहता है। कार्यशाला को प्रतिभागियों द्वारा गहराई से सराहा गया और इसके बाद प्रश्न और उत्तर सत्र आयोजित किया गया जिसमें लोगों ने अपनी आध्यात्मिक खोज और जिज्ञासु मन को संतुष्ट किया।
साध्वी ओम प्रभा भारती जी ने सत्र के अंत में निष्कर्ष दिया कि जीवन प्रबंधन की चुनौती के साथ-साथ अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता हेतु हमें भगवान कृष्ण जैसे पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी वर्तमान समय के आध्यात्मिक दूरदर्शी सतगुरु हैं जिनका लक्ष्य ब्रह्मज्ञान (अनन्त विज्ञान) के माध्यम से लोगों के जीवन में आंतरिक क्रांति लाना है। हमारी प्राचीन विरासत श्रीमद्भागवद्गीता में संग्रहित यह सनातन विज्ञान आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करने और आंतरिक परिवर्तन की यात्रा करने की कुंजी है। आध्यात्मिक रूप से जागृत व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदल देता है, जिससे उसके व्यक्तिगत और व्यावसायिक दायित्वों का निर्वहन सटीक व पूर्ण रूप से होता है।