हिमाचल प्रदेश के एपीजी विश्वविद्यालय शिमला में उपस्थित युवाओं ने सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी ओम प्रभा भारती जी द्वारा तनाव प्रबंधन पर प्रस्तुत किए गए व्याख्यान को सराहा। साध्वी जी युवाओं से संबंधित कई विषयों पर एक प्रसिद्ध वक्ता हैं। विश्वविद्यालय द्वारा विशेष रूप से 5 अप्रैल, 2019 को तनाव प्रबंधन पर व्याख्यान आयोजित किया गया।
प्रौद्योगिकी के विकास के कारण आज विज्ञान ने उन ऊंचाइयों को प्राप्त किया है जो पहले सम्भव नहीं था। प्रौद्योगिकी ने ऐसी ऊँची छलांग ली है की इस डिजीटल दुनिया में कुछ भी कठिन नहीं रहा। इससे भौतिक दुनिया का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं रहा है। आराम और सुविधा की सभी वस्तुएं सुलभ है। इन सुविधाओं व विकास के कारण आज मानव पहले से कहीं अधिक खुश होना चाहिए। परन्तु लोगों की ख़ुशी से सम्बन्धित आँकड़े इस सिद्धांत के पक्ष में नहीं हैं। विज्ञान द्वारा आध्यात्मिकता को विस्मृत करने के कारण मानव जीवन और मूल्य जीर्ण अवस्था में आ चुके हैं। आज लोग पहले की तुलना में अधिक तनाव में हैं और कॉलेज व स्कूल के स्तर पर भी तनाव प्रबंधन कार्यशालाओं की अनिवार्यता हो गयी है।
साध्वी जी ने स्पष्टता से विचारों को रखते हुए समझाया कि तनाव प्रबंधन वह विधि जिसके द्वारा इसके कारणों को समझने और उन्हें जड़ से खत्म किया जाता है। साध्वी जी ने बताया कि जीवन में तनाव भय के कारण पैदा होता है जैसे प्यार खोने का भय, अपेक्षाओं पर खरा न उतरने का भय, लक्ष्य को हासिल न कर पाने का भय, प्रियजनों से बिछड़ने का भय, प्रसिद्धि खो जाने का भय आदि। यदि इस विषय पर गहन विचार करें तो ज्ञात होता है कि किसी भी प्रकार के तनाव का मूल अकेले होने या जीवन में अकेले संघर्ष करने के डर की ओर इशारा करता है। इसलिए तनाव के वास्तविक कारण को समाप्त करने के लिए इस सत्य को स्वीकार करना होगा कि मानव इस संसार में अकेला नहीं है अपितु ईश्वर सदैव उसके साथ है। इस ब्रह्मांड में वह सर्वोच्च शक्ति स्वयं को अनेक रूपों में प्रकट करती है। साध्वी जी ने स्पष्ट किया कि यह ज्ञान किसी बाहरी माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह ज्ञान एक पूर्ण सिद्ध गुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान की प्रक्रिया से प्राप्त होता है।
साध्वी जी ने आगे कहा कि इस ज्ञान के प्रति समर्पण व अभ्यास द्वारा मानव आत्मविश्वास को सशक्त कर जीवन के संघर्षों में जूझने व विजयी होने की शक्ति को प्राप्त करता है। इस प्रक्रिया द्वारा जागृत आत्मविश्वास व्यक्ति के भय को समाप्त कर, सदैव के लिए तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। ईश्वर रूपी सर्वोच्चता से जुड़ा व्यक्ति इस तथ्य को जानता है कि जीवन में जो कुछ भी होता है वह भगवान की इच्छा से होता है। इस सत्य का भान नियमित ध्यान अभ्यास द्वारा सम्भव है। साथ ही ब्रह्मज्ञान में दीक्षित व्यक्ति दुनिया को भी इस सत्य से लाभान्वित करवाने हेतु इस ज्ञान का प्रचार करने के लिए प्रयासरत रहता है।
वर्तमान समय में, श्री आशुतोष महाराज जी पूर्ण सतगुरु हैं जो इस महान ब्रह्मज्ञान को समाज में प्रदान कर रहे हैं। दीक्षा के समय, व्यक्ति स्वयं के भीतर आत्मा का दिव्य अनुभव प्राप्त करता है। आत्मा साक्षात्कार ही सभी पापों व बुराइयों को समाप्त कर पवित्रता की ओर बढ़ने का पहला कदम है।