समय के साथ शब्दों ने वास्तविक जीवन के अनुभवों, सभ्यताओं के इतिहास, मनुष्यों द्वारा आविष्कारों से प्राप्त ज्ञान को संचारित या साझा करने के लिए उपकरण के रूप में कार्य किया है। आध्यात्मिक सम्भाषण द्वारा शब्दों को मानव की निम्न चेतना से उच्च चेतना की ओर बढ़ने की यात्रा हेतु उपयोग किया जाता है। ईश्वर की दिव्यता को सांसारिक ज्ञान के आधार पर आसानी से समझा नहीं जा सकता है। शास्त्रों या भक्तों की आत्मकथाओं द्वारा वर्णित अनुभवों से आध्यात्मिक यात्रा का अनुसरण करना सहज हो जाता है।
मानव इतिहास के सबसे पुराने ज्ञान संकलन “वेदों” में मानव जाति को सर्वोच्च चेतना अर्जित करते हुए ईश्वर की ओर अग्रसर होने का मार्ग प्रदान किया गया। समय-समय पर पूर्ण सतगुरु आध्यात्मिकता व दिव्य रहस्यों के विषय में समाज को अंतर्दृष्टि प्रदत्त करने हेतु आध्यात्मिक साहित्य प्रस्तुत करते है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के मार्गदर्शन में 24 नवंबर से 30 नवंबर 2018 तक अहमदाबाद विश्वविद्यालय मैदान में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में भाग लिया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा प्रदान किया गया साहित्य वेदों और शास्त्रों द्वारा दी गई आध्यात्मिकता और वास्तविक धर्म की अवधारणा को सरलता से व्यक्त करता है ताकि मानव समाज अधिक से अधिक इससे लाभ प्राप्त करने में सक्षम हो सके।
आगंतुकों का ध्यान आकर्षित करने वाली कई पुस्तके जैसे सत्य की खोज, समाधि, अखण्ड ज्ञान, Insightful Chats, Mind- the double edged sword, Gems of Spirituality व महायोगी का महारहस्य आदि ने लोगों में ईश्वर दर्शन जिज्ञासा को जागृत किया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान प्रतिनिधियों व स्वयंसेवकों ने आगंतुकों को संस्थान के लक्ष्य से अवगत करवाते हुए संस्थान की आध्यात्मिक व समाजिक गतिविधियों से परिचित करवाया। दिव्य दृष्टि व ब्रह्मज्ञान के विषय में स्पष्ट विचारों ने आगंतुकों को आत्मिक स्तर पर जागरूक होने के लिए प्रेरित किया।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान प्रतिनिधियों ने जिज्ञासुओं के प्रश्नों का समाधान देते हुए संस्थान की विचारधारा को भी रखा। उन्होंने लोगों को विभिन्न सामाजिक प्रकल्पों जैसे अंतरक्रांति- बंदी सुधार व पुनर्वास कार्यक्रम, संरक्षण-पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम, मंथन – सम्पूर्ण शिक्षा कार्यक्रम (अभावग्रस्त बच्चों को मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करना) और संतुलन- लिंग समानता कार्यक्रम आदि के विषय में बताया।
यह कार्यक्रम वास्तविक आध्यात्मिक आगुन्तकों के लिए ज्ञान की गंगा साबित हुआ व उन्होंने संस्थान की विचारधारा व साहित्य की अत्यधिक सराहना की।