30 अप्रैल से 6 मई तक नगर परिषद् ग्राउंड, काँगड़ा, नूरपुर, हिमाचल प्रदेश में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया| इसी के चलते, 4 से 10 मई तक न्यू शक्ति नगर, डॉ. मेला राम हॉस्पिटल के पास, भटिंडा, पंजाब में भी श्रीमद भागवत कथा का कार्यक्रम आयोजित हुआ| भगवान की लीलाओं में निहित अनमोल सूत्रों को भावपूर्ण भजनों व कथा प्रसंगों ने बहुत सुंदर ढंग से समझाया| हर युग में भगवान के अवतरण का एक प्रमुख उद्देश्य मानव का कल्याण है| वे अज्ञान के अँधेरे में डूबे समाज को ज्ञान के दीपक से रोशन कर जगाने आते हैं| ये जागृत आत्माएं ही फिर अधर्म के खात्मे और धर्म के प्रसार में उनकी यंत्रवत सहयोगी बनती हैं| तभी वे समाज से बुराइयों को मिटाकर अमन-चैन को कायम करने में ख़ास किरदार निभाती हैं| ऐसे अनेकों उदाहरण श्रीमदभागवत महापुराण में दर्ज हैं| ध्रुव, प्रह्लाद, वानर सेना, पांडव, अभिमन्यु, मीराबाई, स्वामी विवेकानंद आदि भक्त भगवान के हाथों गढ़े गए ऐसे ही सुंदर यंत्र थे| जिन्होनें अपनी आत्मा को जागृत कर वास्तविक धर्म से जुड़कर स्वयं को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को लाभ पहुंचाया| ऐसा ही दिव्य अवसर प्रभु ने सबको प्रदान किया है| जरुरत है तो बस उसे पहचान कर उससे लाभ उठाने की, प्रभु की कृपा को पूर्ण संत द्वारा जीवन में धारण करने की| ऐसे अनेकों ही विचारों से प्रेरित होते हुए भक्तों ने जहाँ एक ओर जीवन में सच्चे संत की जरूरत को समझा तो वहीं संत की पहचान को भी जाना| सच्चे संत द्वारा ईश्वर दर्शन की चर्चा सुन कई श्रद्धालुओं ने आत्मा के जागरण की ओर कदम भी बढ़ाया| इस तरह, साध्वी भाग्यश्री भारती जी व साध्वी वैष्णवी भारती जी ने शास्त्रों व विज्ञान के सुमेल से भागवत कथा की अनुपम रसधार बहाई| भागवत कथा में छिपे बहुत से आध्यात्मिक व जीवनोपयोगी सूत्रों को सुन कार्यक्रमों में पहुंचे विशिष्ट अतिथियों ने कार्यक्रम की खूब सराहना की।
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