महान दार्शनिक सुकरात ने कहा है कि “जीवन का आनंद स्वयं को जानने में है”। स्वयं का निरीक्षण करना, अपनी प्रतिभा का पता लगाना और अपनी उस विशेष प्रतिभा का निरंतर विकास करना| किन्तु एक गुरु के अभाव में यह प्रयास अधूरा रह जाता है| किसी व्यक्ति के लिए यह गुरु कोई भी हो सकता उसके माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, कोई भी| कुछ बच्चों के जीवन में ऐसा ही एक गुरु बन कर आया है- मंथन: संपूर्ण विकास केंद्र| मंथन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का एक सामाजिक प्रकल्प है जो कई वर्षों से देश के आर्थिक रूप से कमज़ोर और अभावग्रस्त बच्चों को मूल्याधारित शिक्षा प्रदान करने के साथ ही उनके भीतर छुपी प्रतिभाओं को प्रेरणा रुपी पंख लगा दिशा दिखाने में संलग्न है। संस्थान की प्राचारक शिष्या साध्वी दीपा भारती जी का कहना है कि प्रकृति ने हम सभी को अलग बनाया है। सभी एक दूसरे से भिन्न हैं और सभी के अन्दर एक विशेष गुण होता है। ज़रूरी नहीं है कि अगर एक रास्ते पर चलकर कोई व्यक्ति सफ़ल हुआ है तो दूसरा भी उस रास्ते पर चलकर ही सफ़ल होगा। जहाँ टाटा और अम्बानी जैसे व्यक्ति उद्योगपति के रूप में सफल हुए हैं, वहीं सचिन तेंदुलकर एक क्रिकेटर के रूप में। ऐसे हजारों उदाहरण हमारे सामने हैं जहाँ पर लोगों ने अलग –अलग क्षेत्रों में सफ़लता अर्जित की है। जहाँ लोगों ने अपने भीतर छुपी प्रतिभा को पहचाना और उसी क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए सफ़लता को पाया। मंथन भी बच्चों को उनमें निहित प्रतिभाओं की पहचान करा उसी क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ने में विशेष भूमिका अदा कर रहा है।
इन्ही भावों को साकार रूप देने के प्रयास में 21 अक्टूबर 2018 को India’s Got Talent प्रतियोगिता से दो प्रतिनिधि विनायक और अनमोल बच्चों की प्रतिभाओं के निरीक्षण हेतु मंथन की शकूरपुर, दिल्ली (110034) स्थित शाखा में दौरे पर आये। बच्चों ने अपने अद्भुत प्रदर्शनों से दोनों को चकित कर दिया। किसी ने चित्रकारी में अपने हाथों की जादूगरी दिखाई तो किसी ने संगीत के स्वरों को छेड़ते हुए गायन किया। कुछ ने योग के कुछ सटीक आसन दिखाए तो कुछ ने मनोरंजक अभिनय प्रस्तुत किया। कुछ बच्चों ने अपने जीवन के अनुभव साँझा करते हुए बताया कि किस प्रकार मंथन उनके अँधेरे भरे जीवन में एक सूरज के रूप में उभरा। साथ ही बच्चों ने कुछ विषयों जैसे पानी को बचाने के उपाय, भारतीय संस्कृति पर अपने विचार दिए।
जिन्हें कभी समाज ने खुद से अलग कर दिया था एवं जिन्होंने स्वयं भी एक सफल व शान्तिपूर्वक जीवन की आशा भी छोड़ दी थी, ऐसे बच्चों की प्रतिभाएं देख दोनों ही प्रतिनिधि मंत्रमुग्ध हो गये एवं मंथन के प्रयासों की भरपूर सरहना की।
मंथन की सभी सफलताओं के पीछे दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का ही आशीर्वाद छिपा है।