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तुर्की: महिलाओं के पास दुनिया को बदल देने का अत्यधिक सामर्थ्य है; ऐसा कुछ भी नहीं जो महिलाएं प्राप्त न कर सकती हों। उक्त परिप्रेक्ष्य को साझा करने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और कला अनुसंधान केंद्र (ISARC), तुर्की ने 8 और 9 मार्च, 2021 को महिला दिवस के अवसर पर एक अंतर्राष्ट्रीय महिला संगोष्ठी का आयोजन किया। कोविड महामारी के बीच इस कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों की उपस्थिति को सुविधाजनक बनाने हेतु संगोष्ठी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया था; जिसमें अल्जीरिया, ऑस्ट्रेलिया, अजरबेजान, बेरूत, जॉर्जिया, इथियोपिया, भारत, कजाकिस्तान, केकेटीसी , मोल्दोवा, मोरक्को, नाइजीरिया, पाकिस्तान, रोमानिया और सऊदी अरब जैसे 15 देशों से 100 से भी अधिक विद्वानों और लिंग विशेषज्ञों ने भाग लिया।

International Science & Art Research Center (ISARC), Turkey Publishes Santulans Perspective Paper Titled Women in History And Mythology

यह गर्व की बात है कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (DJJS) के महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम - संतुलन को भी 8 मार्च को शाम 04 :30 बजे [तुर्की समय] सम्मलेन के सायं सत्र में भाग लेने के लिए चुना गया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या और संतुलन की वैश्विक समन्वयक - साध्वी दीपिका भारती जी ने DJJS संतुलन की ओर से कार्यक्रम में भाग लिया;  जिसमें अजरबेजान से शिक्षक - सुश्री सेविल वैलिविया, तुर्की से शिक्षक - प्रो डॉ अयासिन ओनर, भारत से रिसर्च स्कॉलर - सुश्री आदिला मजीद व अन्य कई लिंग विशेषज्ञों ने क्रमिक रूप से महिला सशक्तिकरण पर अपने अपने विचारों को रखा।

साध्वी जी ने 'इतिहास में महिलाएं' विषय पर अपना बहुमूल्य रुख सांझा किया। हर कोई भगवा वस्त्रों में एक भारतीय साध्वी को महिलाओं के विषय पर दुर्लभ और गहरे अनुसंधान आधारित तथ्यों को धाराप्रवाह अंग्रेजी में उजागर करता देख अचंभित था। साध्वी जी ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से इतिहास और भारतीय साहित्य की उन महिलाओं की केस स्टडीज़ को सभी के समक्ष रखा जो आध्यात्मिक रूप से जागृत थी और महिला सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति थीं; जैसे ब्रह्मवादिनी गार्गी, संत मीरा बाई, संत तोरल और सिस्टर निवेदिता।

International Science & Art Research Center (ISARC), Turkey Publishes Santulans Perspective Paper Titled Women in History And Mythology

साध्वी जी बताया कि इन सभी महिलाओं ने अपने समय में सदियों पुरानी लिंग आधारित रूढ़िवादिताओं व ग्लास-सीलिंग का बहुत बहादुरी से खंडन किया था। साध्वी जी ने यह भी बताया कि ये सभी महिलाएं वैदिक नारियां थी। वैदिक का अर्थ होता है आत्मिक रूप से जागृत होना। वैदिक शब्द को एक विशेष समय या काल तक ही सीमित नहीं किया जा सकता। तथाकथित वैदिक युग के बाद भी चेतना के स्तर पर जागृत होने वाली सभी महिलाएं वैदिक ही हैं। और वे सिर्फ नाम से ही वैदिक नारी नहीं अपितु अपने चरित्र और मूल्यों से भी वैदिक हैं। यह पूर्ण सशक्तिकरण आज 21वीं सदी में भी संभव है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान विश्व की असंख्यों नारियों को आत्मिक रूप से सशक्त बना कर उन्हें 21वीं सदी की वैदिक नारी की उपाधि प्रदान कर रहा है।

साध्वी जी की ज्ञानवर्धक बातो ने एक सशक्त आभा पैदा की जिसने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। अंत में ISARC टीम द्वारा एक धन्यवाद नोट दिया गया। कार्यक्रम के बाद ISARC द्वारा साध्वी जी को ई -मेल द्वारा ई-सर्टिफिकेट भेज कर सम्मानित किया गया। 01 अप्रैल, 2021 को सम्मलेन में साध्वी जी द्वारा प्रस्तुत सम्पूर्ण व्याख्यान अंतरराष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या (ISBN) - 978-625-7636-21-6 के साथ अंतरराष्ट्रीय संचयन में प्रकाशित की गयी; जिसे विश्व का कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है।

प्रस्तुत है कार्यक्रम और अंतराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित रिसर्च पेपर की कुछ झलकियां। सम्पूर्ण शोध पत्र पढ़ने के लिए लिंक TAP करें - cutt.ly/tcUtCE8 (PDF पृष्ठ संख्या 255 से)।

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