सभी बच्चे स्वभाव से ही सीखने के लिए प्रेरित रहते हैं I यदि छात्र किसी विषय-वस्तु के ज्ञान का व्यवहारिक प्रयोग करने में सक्षम हो गया है तो हम समझ सकते हैं कि सीखने की प्रक्रिया सार्थक रही I सीखने की एक उचित गति होनी चाहिए ताकि विद्यार्थी विषयों को रटने के बजाये उन्हें आत्मसात कर सकें I सीखने में विविधता व चुनौतियां भी होनी चाहिए ताकि वह बच्चों को रोचक लगे एवं बच्चे व्यस्त रह सकें I इसी महत्त्व को समझते हुए मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र 16 नवंबर 2018 को दिल्ली स्थित इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कलाकेंद्र में “कथाकार” द्वारा आयोजित “अंतर्राष्ट्रीय कथाकार महोत्सव” में सम्मिलित हुआ I महोत्सव में मोहित चौहान (गायक), किरेन रिजिजू (केंद्रीय गृहराज्य मंत्री) और सद्गुरु जग्गी वासुदेव (धार्मिक गुरु) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे I
कथाकार भारत की एकमात्र ऐसी अहम् मुहीम है जिसका लक्ष्य विश्वभर में कहानियों के मौखिक स्वरुप का विस्तार करना है I इसकी स्थापना गैर सरकारी संस्थानों- “निवेश” और “हिमालयन हब फॉर आर्ट (HHACH)” की सहायता से शगुन गहलोत, प्रार्थना गहलोत और रचना द्वारा 2010 में की गयी I तभी से यह मंच कहानी बांचने की प्राचीन कला को बढ़ावा देने और उन्हें संरक्षित रखने के क्षेत्र में कार्य कर रहा है I
मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का एक सामाजिक प्रकल्प है जो देश के अभावग्रस्त बच्चों को बिना शुल्क मूल्याधारित शिक्षा प्रदान कर उनके संपूर्ण विकास हेतु कई वर्षों से प्रयासरत है I इस प्रयास के तहत् देशभर में मंथन के कुल 18 केंद्र कार्यरत हैं जिनमे लगभग 2000 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं I मंथन का लक्ष्य बच्चों के समग्र विकास को पोषित करना है I इसी उद्देश्य से मंथन के बच्चे इस महोत्सव में सम्मिलित हुए I
कार्यक्रम का उद्घाटन सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी द्वारा किया गया I कार्यक्रम में कई रोचक गतिविधियाँ प्रस्तुत की गईं I शगुन गहलोत (प्रोग्राम को-डायरेक्टर) द्वारा ‘बापू की कहानी’ नामक एक नाटक प्रस्तुत किया गया जो महात्मा गाँधी जी के जीवन से प्रेरित था I विभिन्न देशों से आये कथावाचकों ने अपने-अपने देश की कथाएँ प्रस्तुत की I कलाकारों द्वारा राजस्थानी कहानी की एक विशेष प्रस्तुति की गयी I कथावाचक मि. माइकल ने अंग्रेजी में एक कहानी पेश की जो एक पिता और पुत्र के संबंधों पर आधारित थी I कहानी का मुख्य शीर्षक था- “एक व्यक्ति का निर्माण संपूर्ण विश्व का निर्माण करता है” I कार्यक्रम के दौरान मोहित जी ने सद्गुरु जी से उनके बचपन के विषय में पूछा I कुल मिलकर कार्यक्रम अद्भुद एवं रोचक रहा I मंथन के बच्चों ने कार्यक्रम का पूर्ण लाभ उठाया और यह भी जाना कि कथाओं के माध्यम से किस प्रकार वे अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं I इस महोत्सव में सम्मिलित होने का मंथन का यही उद्देश्य था कि सभी क्षेत्र में बच्चे अपना निर्माण कर सकें I