डीजेजेएस द्वारा 11 से 15 फरवरी, 2020 तक पंजाब के फरीदकोट में 5 दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में भक्तों ने कार्यक्रम स्थल पर एकत्रित होकर, श्री कृष्ण कथा के दिव्य अमृत का आनंद लिया। इस कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
विश्व पटल पर यदि किसी ऐसे चरित्र को खोजा जाए, जिसमे वात्सल्य, माधुर्य, सखा, स्वामी व सतगुरु आदि सभी भावों की पूर्ति हो, तो यह मात्र द्वापरयुग में भगवान् श्री कृष्ण के चरित्र में सम्भव है। भगवान श्रीकृष्ण अपनी आभा व लीला से सभी को अपने प्रति आकर्षित व मोहित कर लेते थे। उनका जीवन चरित्र सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए प्रेरणा और आनंद का स्रोत है। उन्होंने ने बाल्यकाल में जहाँ माखन चोरी लीला द्वारा जीवन सार को ग्रहण करने की प्रेरणा प्रदान की, तो वहीँ दूसरी ओर कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में अर्जुन को गीता के उपदेश द्वारा कर्तव्य पथ पर अग्रसर किया। भगवान श्री कृष्ण का बहुआयामी व्यक्तित्व समाज के प्रत्येक पक्ष का मार्गदर्शन करता है।
साध्वी सौम्या भारती जी ने कहा कि श्री कृष्ण ने कर्म सिद्धांत के सत्य को समाज के समक्ष रखा। वे वर्तमान व भविष्य निर्माता थे, जिन्होंने सभी भ्रांतियों व गलत अवधारणों का विरोध किया व समाज को उनके प्रति जागरूक करते हुए, उनका समूल नाश किया। वे सदैव न्याय और धर्म के पक्ष पर अडिगता से खड़े रहे। उनकी नीति समाज में धर्म-संस्थापना हेतु लोगों को धर्म के प्रति प्रेरित करने की रही। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों को भौतिकता और आध्यात्मिकता के संतुलन का मार्ग प्रदान किया। उनका जीवन इस बात का आदर्श उदाहरण था कि सांसारिक संघर्षों व विपरीत परिस्थितियों में भी धर्म-पथ का अनुपालन जीवन को शिखर तक ले जाता है।
कथा वाचन करते हुए साध्वी जी ने समझाया कि “आत्मा- अमर, सचेत, माया (भ्रम) से रहित और प्रकृति में आनंदित रहने वाली चेतना है। आत्मिक ज्ञान हेतु हमें एक आध्यात्मिक गुरु की शरण स्वीकार करने की आवश्यकता है। ब्रह्मज्ञान द्वारा आत्मिक ज्ञान का अभ्यास हमें शरीर, मन या बुद्धि से परे, आत्मा की सत्यता का अनुभव करवाता है। यही वह क्षण है जब हम स्वयं के साथ एकीकृत होते हुए, वास्तविक मुक्ति स्वरुप अनंत आनंद का अनुभव करते हैं। उन्होंने भगवान साक्षात्कार हेतु “ब्रह्मज्ञान”- अनन्त ज्ञान के विज्ञान का संदेश दिया। साध्वी जी ने हमारे जीवन में ब्रह्मज्ञान का महत्व समझाया। कथा और संगीत के मधुर संयोजन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हर बीतते दिन के साथ दर्शकों की संख्या बढ़ती गई। कथा का समापन यज्ञ द्वारा किया गया। कार्यक्रम ने लोगों को वास्तविक ज्ञान से परिचित करवाने हेतु ब्रह्मज्ञान के संदेश को प्रसारित करने के लक्ष्य को पूर्ण किया।