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जीवन के वह क्षण जब अपने रक्षण हेतु निर्मित ऊँची दीवारें गिर रही हों, पैरों के नीचे से ज़मीन सरक रही हो, तब भी बिना डरे पुरुषार्थ को नहीं छोड़ना चाहिए। भय हमारी विजय की संभावनाओं को सीमित करता है। जो भी हम अपने जीवनकाल के दौरान करते हैं वह भगवान को समर्पित होना चाहिए। यह भाव मानव को सदैव शांति और संतुष्टि प्रदान करता है। हर कार्य को करते हुए श्री कृष्ण का स्मरण रखना चाहिए। यह हमें हर समय भगवान की उपस्थिति महसूस करता है, जिससे हमारे सभी कार्य सकारात्मक हो जाते हैं।

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी और एक अग्रणी आध्यात्मिक संगठन है। संस्थान संचालक व संस्थापक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा द्वारा 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2018 तक पंजाब के जालंधर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के माध्यम से गुरुदेव की शिष्या व आध्यात्मिक वक्ता, साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने समझाया कि श्री कृष्ण हर इंसान के रक्षक है। हमारे जीवन की विपरीत परिस्थितयों में हमारे अपने हमें छोड़ सकते हैं, लेकिन श्री कृष्ण हमेशा हमारे संग रहते हैं। वह व्यक्ति जो इस सत्य को जानता है वह कभी भी उदास या दुःख से परेशान नहीं होता है।

श्रीमदभगवद्गीता ध्यान और इसके महत्व के विषय से हमें परिचित करवाती है। ध्यान को आंतरिक शांति और साधना के लिए अत्यंत सहायक माना जाता है। इसके अलावा, एक व्यक्ति जो हर समय संसार के बारे में सोचता है वह वास्तव में ध्यान में संलग्न नहीं हो सकता है। जब किसी व्यक्ति का दिमाग स्थिर नहीं होता है तो वह केवल माया के बारे में सोचता है और ध्यान को विस्मृत कर देता है। लोगों को भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को समझाने और समझाने के लिए, आज के पूर्ण गुरु श्री आशुतोष महाराज जी, ब्रह्मज्ञान प्रदान कर रहे हैं और इस युग में भगवान कृष्ण के वास्तविक रूप के दर्शन को प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में आत्म जागृति हेतु ब्रह्मज्ञान की अनिवार्यता है। जीवन में एक पूर्ण सतगुरु की दिव्य कृपा द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर, सही और गलत का अंतर समझा, हमारे मन और बुद्धि को सकारात्मकता से भर देता है।

सात दिवसीय विलक्षण कार्यक्रम का आरम्भ संस्कृत भाषा में वैदिक भजनों और भगवान कृष्ण के चरणों में विनम्र प्रार्थनाओं के गायन से हुआ। कथा में उपस्थित ब्रह्मज्ञानी व प्रतिभाशाली संगीतकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए सुन्दर और प्रेरणादायक भजनों ने श्री कृष्ण भक्ति की ओर बढ़ने हेतु प्रेरित किया।
 

'Life is a battlefield-Fight Boldly': Shrimad Bhagwat Katha at Jalandhar, Punjab

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