बचपन वह स्वर्णिम समय है जब मासूमियत अपने चरमोत्कर्ष पर होती है I परन्तु आज के आधुनिक युग में बच्चों को उनकी सुरक्षा के बारे में बताना बहुत जरूरी है। बच्चों को समाज के विभिन्न प्रकार के लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। आये दिन बच्चों का यौन उत्पीड़न, बाल यौन शोषण, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध की घटनाएँ हो रही है I ऐसे में अब माता– पिता और शिक्षक का कर्तव्य केवल बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार देने तक नहीं रह गए हैं बल्कि उन्हें “Safe and Unsafe touch” के बारे में जागरूक करने की भी आवश्यकता है I मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का एक सामाजिक प्रकल्प है जो देश के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए देश के अभावग्रस्त बच्चों को निशुल्क एवं मूल्याधारित शिक्षा प्रदान कर उनके शारीरिक, मानसिक, बोद्धिक तथा अध्यात्मिक विकास हेतु कई वर्षों से प्रयासरत है I
समय की मांग को देखते हुए मंथन ने अपनी दिल्ली स्थित रिठाला सम्पूर्ण विकास केंद्र में 22 जुलाई 2019 को एक दिवसीय ““Safe and Unsafe touch” सत्र का आयोजन किया गया ताकि बच्चे अपनी सुरक्षा को लेकर सावधान हो सकें क्योंकि बच्चों को यह नहीं मालूम होता है कि उन्हें किस तरह से छुआ जा रहा है और यही वह कारण है जो बच्चों के यौन शोषण के लिए मुख्य रूप से ज़िम्मेदार है I
सत्र का संचालन करते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की प्रचारक शिष्या साध्वी अनीशा भारती जी ने उपयुक्त विधि और जानकारी से बच्चों को अच्छे स्पर्श और बुरे स्पर्श के प्रति सजग किया I शैक्षणिक चित्र, शैक्षणिक वीडियो और अभिनय के माध्यम से उन्होंने बच्चों को शरीर के ‘नो टच ज़ोन’ यानि स्पर्श न करने वाले भागों की जानकारी दी I उन्होंने समझाया कि हमेशा ढके रहने वाले अंगों को किसी के द्वारा छुआ नहीं जा सकता, भले ही वह ‘स्नेही’ स्पर्श ही क्यों न हो I अगर किसी के द्वारा उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो उसका कड़ा विरोध करें और ऐसी बातें आकर अपने माता-पिता, शिक्षक अथवा किसी विश्वास पात्र को जरुर बताएं I साथ ही उन्होंने ऐसी परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए यह भी सिखाया I उन्हें बुरे स्पर्श पर जोर देकर “ना” कहना सिखाया और समझाया कि अगर इनकार करने के बाद भी दुर्व्यवहार किया जा रहा है तो वे डरे नहीं बल्कि मदद के लिए चिल्लाएं I उनके चिल्लाने से आसपास के लोग मदद करने के लिए जरुर आ जाएंगे I
बच्चों के अलावा साध्वी जी ने रिठाला के शिक्षकों को भी जागरूक किया कि किस प्रकार एक शिक्षक के रूप में वह भीं बच्चों को यौन शौषण से बचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं I साथ ही उन्होंने बड़े सरल लेकिन कारगार उपाए सुझाये जैसे बच्चे को अपने घर का पता और एक या दो फोन नंबर ज़रुर याद करा देना चाहिए, छोटे बच्चे बड़ी ही आसानी से किसी पर भी विश्वास कर लेते हैं, इसलिए उन्हें बताना कि जिन्हें वह नहीं जानते उनके साथ कही भी ना जाएँ और न ही उनकी कोई दी हुई चीज़ें लें, बच्चे में हो रहे किसी भी सामान्य या जटिल बदलाव को गंभीरता से लेना आदि I
सत्र के अंत में बच्चों ने निश्चित रूप से सत्र में कई महत्वपूर्ण बातों को आत्मसात किया I