एक विद्यार्थी की शिक्षा में माता-पिता की अहम् भूमिका रहती है I वे बच्चे के जीवन का आधार होते हैं I वे अपने बच्चों के व्यस्क होने तक उनकी देखरेख की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी निभाते हैं I घर पर यदि बच्चों को मदद मिले तो उनके सीखने -समझने की क्षमता बढ़ जाती है I माता-पिता की इस भूमिका को ओर सुदृढ़ करने के लिए अभिभावक-शिक्षक बैठक आयोजित की जाती है ताकि अभिभावकों को उनके बच्चों की शिक्षा में भी भागीदार बनाया जा सके और साथ ही शिक्षकों को भी बच्चों के पूर्ण विकास हेतु माता-पिता का सहयोग प्राप्त हो सके I इस तरह माता-पिता अपने बच्चों की पढाई में दिलचस्पी लेने के लिए प्रेरित होते हैं विद्यालय की शैक्षणिक प्रक्रिया में सांस्कृतिक और पारंपरिक तौर पर अपना योगदान दे पाते हैं I इसके अतिरिक्त अभिभावकों और शिक्षकों के बीच प्रभावी संवाद से उनके बीच एक बेहतर रिश्ता कायम हो जाता है जिससे विद्यार्थी की प्रगति को एक नया बल मिल जाता है I अभिभावकों की इस भूमिका के महत्व को समझते हुए मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र भी समय-समय पर अभिभावक-शिक्षक बैठक आयोजित करता रहता है I
मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का एक सामाजिक प्रकल्प है जो देश के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए देश के अभावग्रस्त बच्चों को बिना शुल्क मूल्याधारित शिक्षा प्रदान कर उनके संपूर्ण विकास हेतु कई वर्षों से प्रयासरत है I ये वे बच्चे हैं जिनके माता-पिता ने कभी स्कूल का चेहरा तक नहीं देखा I ऐसे माता-पिता शिक्षा के महत्व को समझ नहीं पाते I ऐसे में हम कल्पना कर सकते हैं कि इन बच्चों को घर में शैक्षिक वातावरण नाममात्र भी प्राप्त नहीं होता होगा I इससे इन बच्चों की विकास प्रणाली बाधित हो सकती है I इसी बाधा को खत्म करने के लिए मंथन ने अक्टूबर माह में अपनी सभी शाखाओं पर अभिभावक-शिक्षक बैठक का आयोजन किया जिसमें छात्राओं के अभिभावकों ने बहुतायत में आकर बैठक को सार्थकता प्रदान की I इस दौरान शिक्षकों ने अभिभावकों से उनके बच्चों की शैक्षणिक प्रगति के बारे में चर्चा की और उनके सहयोग के क्षेत्रों को भी रेखांकित किया ताकि ऐसे अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर उन्हें उनके बच्चे की प्रगति में एक सहायक बना सकें I शिक्षकों ने साथ ही अभिभावकों को कुछ उपाए सुझाये जिससे वे बच्चों को घर में भी एक शिक्षा का वातावरण दे सके जैसे बच्चों को ख़ुद से बैठकर पढ़ने का समय देने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना, बच्चों को खेल के लिए पर्याप्त समय देना, बच्चों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करना आदि I अभिभावकों ने भी अपने कर्तव्यों को समझते हुए बच्चों के विकास में अपना पूर्ण योगदान देने हेतु दृढसंकल्प लिया I अंत में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी को नमन अर्पित करते हुए बैठक का समापन किया गया I