नशा भी एक ऐसी ही बीमारी है जिससे बचाव ही उसका इलाज है I किसी ने बहुत सही कहा है नशा, नाश का द्वार है I नशे की सामग्री व्यक्ति को पहले उत्तेजित करती है, उसके पश्चात् जैसे-जैसे वह उसकी गिरफ्त में आने लगता है, वो उसे भीतर से नकारात्मक बनाना शुरू कर देती है, जिससे व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास कम होने लगता है, जीवन में निराशा का भाव आने लगता है, चिडचिडापन पैदा होता है जो उसकी सफलता और जीवन के रोज़मर्रा के कामों में बाधक बनता है I
आधुनिक युग में एक बड़ी संख्या में युवा नशे का शिकार हैं I एक देश की प्रगति उसकी युवापीढ़ी पर निर्भर होती है और यदि वो पीढ़ी स्वयं पतन की चरम सीमा पर हो तो वह देश किस प्रकार उत्थान की ओर अग्रसर हो सकता है I भारत देश तो युवाओं का देश कहा जाता है I हमारे देश की जनसँख्या का एक बड़ा हिस्सा युवा वर्ग है I लेकिन आज का भारतीय युवा स्वार्थी हो गया है I अपनी जिम्मेदारियों से पूर्णतः विमुख हो चुका है I समाज को सही मार्ग पर लाने की इस मुहिम में एक छोटी सी आहुति के रूप में मंथन की पटेल नगर शाखा ने भी 10 जून 2019 को एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें मंथन के छात्रों ने एक नृत्य एवं नाटक प्रस्तुत किया जिसके माध्यम से उन्होंने वहां प्रस्तुत लोगों को नशे के दुष्प्रभावों से अवगत कराते हुए उनसे किसी भी प्रकार के नशे को छोड़ने का आग्रह किया I बच्चों ने नाटक के ज़रिये यह भी बताया कि किस प्रकार बड़ों के नशा करने से उसके दुष्प्रभावों का शिकार मासूम बच्चे भी होते हैं I छोटे-छोटे बच्चों को इस प्रकार बड़ों से नशे को छोड़ने का आग्रह करते देख वहां उपस्थित सभी लोग भावुक हो गए तथा तत्क्षण नशे को छोड़ने और अपने आस-पास किसी को भी नशा करते देख उन्हें भी इसकी गिरफ्त से निकालने का प्रयास करने का प्रण लिया I