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आज विश्व जितनी तीव्रता से डिजिटल युग की ओर बढ़ रहा है ठीक उतनी ही तेज़ी से साइबर अपराध की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। भारत, जो कि इंटरनेट का तीसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है, निस्संदेह ही साइबर अपराध के मामले में अन्य देशों से पीछे नहीं है। बाल यौन शोषण, मानव तस्करी और पोर्नोग्राफी तो दुनियाभर में विशेष चिंता का विषय है। बाल शोषण के रूप में विद्यमान इस भयावह सामाजिक बुराई की व्यापकता की गंभीरता पर चिंता व्यक्त करते हुए, समाधान अभियान नामक गैर सरकारी संगठन ने 12 जुलाई, 2020 को शाम 7 बजे ज़ूम ऐप के माध्यम से इन संगीन विषयों पर एक वेबिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. वरुण कपूर (आईपीएस) (पुलिस महानिदेशक, मध्य प्रदेश), अजय कुमार (एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, समाधान अभियान के सलाहकार, लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता, प्रधानमंत्री मोदी के एनडीए) और श्रीमती शिखा राय (समाधान अभियान में कार्यरत शिक्षक और म्यूनिसिपल काउंसलर, दक्षिणी दिल्ली) उपस्थित रहे। डॉ. वरुण कपूर पोस्को, साइबर क्राइम, ड्रग्स और आत्महत्या मामलों में अपने श्रेष्ठ योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रकल्प के रूप में कार्यरत मंथन-सम्पूर्ण केंद्र, जो कि समाज के अभावग्रस्त बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रयासरत है, ने भी इस वेबिनार में भाग लिया।

वेबिनार में डॉ. कपूर ने साइबर अपराध की परिभाषा को विस्तारपूर्वक समझाते हुए बताया कि यह एक आपराधिक गतिविधि है, जिसे कंप्यूटर और इंटरनेट के उपयोग द्वारा अंजाम दिया जाता है तथा जिसमें साइबर उत्पीड़न, साइबर स्टॉकिंग, बाल पोर्नोग्राफी, विभिन्न प्रकार के स्पूफिंग, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, मानव तस्करी,साइबर आतंकवाद आदि शामिल हैं। ऐसे अपराध, यद्यपि ऑनलाइन होते हैं, परंतु वे वास्तविक लोगों के जीवन को गहराई तक प्रभावित करते हैं। मास मीडिया और इंटरनेट के प्रसार ने इन गतिविधियों विशेषतः बाल दुर्व्यवहार पर नियंत्रण रखने की प्रक्रिया को ओर जटिल बना दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इस भ्रान्ति को भी दूर किया कि साइबर अपराध को अंजाम देने के बाद डिजिटल पदचिह्न को मिटाया जा सकता है। उन्होंने इन गंभीर अपराधों पर बिंदु डालते हुए उनसे बचाव के उपाय भी सुझाये। उन्होंने समझाया कि जागरूकता और सतर्कता ही बचाव का मूल मंत्र है। जैसे बच्चों के इंटरनेट उपयोग के कठोर नियम, संदिग्ध उपकरणों की निगरानी, अपनी निजी जानकारी सोशल मीडिया पर सांझा करने से बचना, तस्करी के शिकार बालकों तथा कमज़ोर समुदायों को सरकारी सहायता देना, आदि ऑनलाइन बाल यौन शोषण को रोकने में अवश्य ही कारगर सिद्ध होंगे। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का उल्लेख करते हुए समाज में प्रचलित इस मुद्दे के कई और पहलुओं पर भी चर्चा की।

मंथन इस अतिविशेष सत्र का हिस्सा बनने पर समाधान अभियान संस्थान एवं उपस्थित अतिथियों का आभारी है और समाज को साइबर अपराध के रूप में विद्यमान इस बुराई से छुटकारा दिलाने में हरसंभव प्रयास करने को तत्पर है।

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