सृष्टि का सार यही है कि जीवन का स्रोत्र व मूल, वास्तविक प्रेरक के रूप में हमारे भीतर निहित है। हमारी वास्तविकता प्रकाश स्वरूप आत्मा ही है जो अनेक शरीरों के माध्यम से इस संसार में विचरण करती है। परन्तु जिस समय यह आत्मा मानव तन को धारण करती है उस समय हम जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो पाते है। अध्यात्म द्वारा ही आत्मा और परमात्मा का दृढ़ सम्बन्ध स्थापित हो सकता है।
भक्तों को माँ की अनंत शक्ति से परिचित करवाने के लिए सनातन धर्म मंदिर सभा, चंडीगढ़, पंजाब ने 13 अक्टूबर 2018 को माता की चौकी की प्रस्तुती हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान को आमंत्रित किया। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी भावार्चना भारती जी व अन्य शिष्यों ने माँ की महिमा का गुणगान किया।
कार्यक्रम का आरम्भ माँ के चरणों में आह्वान से हुआ। आयोजकों ने सभी मेहमानों, प्रचारकों, स्वयंसेवकों और भक्तों का स्वागत किया। सरस भजनों व माँ की भेंटों की श्रृंखला से वातावरण दिव्य तरंगों से स्पंदित हो उठा।
माता की चौकी द्वारा प्रेरणादायक व अर्थपूर्ण भजनों को सुन हर उपस्थित श्रद्धालु सकारात्मकता से पूरित हो अपने वास्तविक स्वरूप व आंतरिक जगत में बढ़ने हेतु प्रेरित हुआ। साध्वी जी ने अंतर्निहित अनंत ईश्वर की महिमा को भावपूर्ण व तर्कपूर्ण ढ़ंग से उजागर किया। उन्होंने समझाया कि ब्रह्मज्ञान की अद्वितीय पद्धति द्वारा ईश्वर का साक्षात्कार करना ही हमारा मूल अधिकार व कर्तव्य है।
माता की चौकी ने भक्तों के भीतर आध्यात्मिकता द्वारा वास्तविक लक्ष्य के प्रति जिज्ञासा को जागरूक कर कार्यक्रम की सफलता को दर्शाया। कार्यक्रम से प्रभावित हो अधिकतर उपस्थित लोग जीवन में अध्यात्म के प्रति बढ़ने हेतु उत्साहित दिखे।