बचपन हर किसी के जीवन में महत्वपूर्ण क्षण है I बचपन में ही देश के सफल नागरिक बनने की कुंजी छुपी होती हैI लेकिन हमें रोज ही कोई ना कोई ऐसी खबर सुनने को मिलती है, जो बाल अधिकारों के हनन, बाल मज़दूरी और शोषण से जुड़ी होती है। यह बात समझना आवश्यक हो गया है कि जिन बच्चों को मज़दूर बना कर हम उनसे अपना वर्तमान सुधारने का प्रयास कर रहे हैं वही बच्चे संपूर्ण विश्व का भविष्य हैंI इसलिए ज़रुरी है कि बच्चे, उनके अभिभावक और शिक्षक बाल अधिकारों के विषय में पूर्ण रुप से शिक्षित हों। बच्चों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने हेतु 14 से 20 नवंबर को यूनिसेफ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार सप्ताह के रूप में घोषित किया गया। इसी के तहत 16 नवम्बर को बाल अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए मंथन ने MEQ ACADEMY के सहयोग से विजय विहार में अपने सभी दिल्ली-NCR केन्द्रों के शिक्षकों के लिए एक “चाइल्ड राइट्स वर्कशॉप” का आयोजन किया।
वर्कशॉप में मुख्य रूप से DJJS की प्रचारक शिष्याएं साध्वी दीपा भारती जी , साध्वी अनीशा भारती जी , साध्वी अनुराधा भारती जी और MEQ ACADEMY से Mrs. Lata Singh-Founder & Director और Chetna Singh - Program Manager of MEQ Academy उपस्थित रहीं। वर्कशॉप में मुख्यतः बाल अधिकारों और शिक्षक एवं अभिभावकों की जिम्मेदारियों, Substantial Development Goals और POP Festival गतिविधियों पर चर्चा की गयी। प्रतिनिधियों ने विडियो प्रस्तुतीकरण के माध्यम से शिक्षकों को कुछ आवश्यक सूचनाएं जैसे बाल अधिकार एवं उनके संरक्षण पर जानकारी, संकट की स्थिति में बाल कल्याण समिति एवं ज़िला बाल संरक्षण इकाई एवं आयोग से संपर्क के बारे में, “बेटी बचाओ बेटी पढाओ” विषय पर जागरूकता, इसके साथ ही टीकाकरण के संबंध में जागरूकता, बच्चों की शिक्षा का अधिकार अधिनियम एवं उसके उद्देश्य, पोक्सो अधिनियम एवं प्रावधानों की जानकारी, प्रेरणास्पद फिल्म के द्वारा बाल विवाह एवं बाल श्रम के दुष्प्रभाव और उसको रोकने के लिए बनाये गए कानून आदि से अवगत कराया गया।
कुछ रोचक गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं जिसके माध्यम से शिक्षकों ने अपने विचारों को बहुत ही सुन्दर ढंग से कागज़ पर उकेरा। अन्य गतिविधियाँ जैसे सतत विकास लक्ष्य, स्वयं की भावनाओं को जानने का प्रयास आदि भी आयोजित की गईं। इसके बाद साध्वी दीपा भारती जी द्वारा सभी शिक्षकों को “संस्कार शिक्षा” पुस्तक की संकल्पना के बारे में बताते हुए उन्हें अपने-अपने केन्द्रों के लिए ये पुस्तकें भेंट स्वरुप दी गईं। सुरक्षित बचपन की शपथ के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।