शिष्यत्व के आधार को मजबूत करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 12 नवंबर, 2022 को नूरमहल, पंजाब में "मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम" का आयोजन किया गया। सही ही कहा गया है कि संतों की संगति व्यक्ति की बुद्धिमता को बढ़ाती है। इसलिए, सत्संग जैसे स्थानों को भक्तों के लिए ‘आध्यात्मिक जिम’ कहा जा सकता है। व्यस्त सांसारिक जीवन से समय निकालकर, हजारों भक्तों ने अपने आध्यात्मिक विकास के लिए कार्यक्रम में भाग लिया। भक्तिमय दिव्य भजनों की श्रृंखला ने पवित्र वातावरण का ऐसा निर्माण किया कि प्रत्येक हृदय, शरीर, मन और आत्मा के भीतर सर्वोच्च ऊर्जा का संचार हो गया।
श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के प्रचारक गणों ने शिष्यों को संतुलित सांसारिक-आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए अचूक मंत्र का अनावरण किया। उन्होंने कहा कि हमें सबसे पहले जीवन में चीजों को प्राथमिकता के आधार पर रखने की जरूरत है। आज के मानव के साथ समस्या यह है कि वह बिना कोई योजना बनाए जीवन व्यतीत कर रहा है। इसलिए, वे जो कार्य पूरा करने की सोचते हैं, वे आम तौर पर अप्रापय रह जाते हैं। इसलिए अगर एक सफल दिन की शुरुआत करना चाहते हैं तो शिष्यों के लिए ब्रह्ममुहूर्त में सुबह जल्दी उठना और ध्यान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें सकारात्मकता और दृढ़ संकल्प के साथ दिशा देता है। जो शिष्य संकल्प और विश्वास के साथ मन में प्रार्थना करके सोते हैं, वे भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। एक आध्यात्मिक साधक को यह भी समझना चाहिए कि उसे नियमित रूप से व्यायाम करने, ठीक से खाने और अपनी नींद का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है; जो न तो बहुत अधिक हो और न ही बहुत कम, जैसा कि श्रीमद्भागवत गीता में भी निर्दिष्ट किया गया है। केवल एक स्वस्थ शरीर ही ध्यान में अच्छा फलदायी समय दे सकता है।
यह सभी को अच्छी तरह से ज्ञात है और शास्त्रों में भी उल्लेख किया गया है कि आनंदमय जीवन जीने का गुप्त मंत्र केवल ब्रह्मज्ञानी साधक की तरह जीवन जीने में है। केवल वही जो उस समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की कृपा से ब्रह्मज्ञान की दिव्य तकनीक से धन्य हो, अपने भीतर ईश्वर को देखता हो और प्राणपण से अपने गुरु की आज्ञा का पालन करता हो- ऐसा साधक शिष्य ही जीवन के सभी बंधनों को तोड़कर, सकारात्मकता और दृढ़ संकल्प से भरपूर हों शाश्वत आनंद का अनुभव कर सकता है। ऐसा नहीं है कि शिष्यों को कठिन समय का सामना नहीं करना पड़ता, लेकिन ध्यान उन्हें सकारात्मक रख कठिन समय से निकलने में मदद करता है, जिसके लिए पूरी दुनिया तरस रही है! जीवन के कठिन समय में एक सांसारिक व्यक्ति रोता है और अवसाद के गड्ढे में गिर जाता है, वहीँ ध्यान में बैठकर एक भक्त भगवान और अपने दिव्य आध्यात्मिक गुरु की शरण के लिए दौड़ता है।
व्यक्ति को पूर्ण सतगुरु के चरणों में स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर देना चाहिए और सब कुछ उन पर छोड़ देना चाहिए। गुरुदेव कभी-कभी हृदय की गहराई में खामोश रहकर भी बहुत स्पष्ट रूप से बोलते हैं। जरूरत है अपने स्व से जुड़कर भीतर की आवाज सुनने की। प्रचारकों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में हम सभी शिष्य, जिन्हें श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से ब्रह्मज्ञान प्राप्त हुआ है, वे बहुत भाग्यशाली हैं। इसलिए इस सौभाग्य को समझकर जितना संभव हो सके ठीक से ध्यान करने का प्रयास करें, क्योंकि यह ध्यान न केवल शिष्यों के लिए बल्कि उनके आसपास के लोगों के लिए भी लाभप्रद है।
गुरुदेव की कृपा से सामूहिक ध्यान के साथ कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस दिव्य सभा ने सभी का कायाकल्प करते हुए उन्हें आध्यात्मिकता के मार्ग पर पूरे जोश और उत्साह के साथ आगे बढ़ने का उत्साह भरा।