दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 13 मार्च, 2022 को नूरमहल आश्रम, पंजाब की पवित्र भूमि पर मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आध्यात्मिक ज्ञान रत्नों से लाभान्वित होने के लिए बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित हुए। भक्तिमय रचनाओं की श्रृंखला ने पावन व भक्ति तरंगों से प्रत्येक तन, मन और आत्मा को तरंगित किया।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक व संचालक, डीजेजेएस) के प्रचारक शिष्यों ने भक्तों के जीवन से अनेक प्रेरणादायक दृष्टांतों का उल्लेख किया। वर्तमान स्थिति पर रोशनी डालते हुए, उन्होंने यह भी कहा कि जीवन की इस तेज़ गति में लोग अत्यधिक व्यस्त हो गए हैं। वे अपनी दिनचर्या में इतने खो गए हैं कि उन्हें इस बात का आभास ही नहीं है कि समय उनके हाथ से लगातार धीरे-धीरे फिसल रहा है। भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी की उथल पुथल में उन्हें अपनी आत्मा की आवाज़ सुनाई नहीं देती, जो भीतर से उन्हें यह संदेश देती है कि थोड़ी देर रुककर, इस मायावी दुनिया से विलग होकर, स्व में स्थित होना सीखें। यदि यह प्रश्न हमारे सामने रखा जाए कि हम अपने जीवन में कहाँ जा रहे हैं? तो, उत्तर यही होगा कि धीरे-धीरे हम सब मृत्यु की ओर बढ़ रहे हैं। इस यात्रा का अंतिम पड़ाव, जिसे “मृत्यु” कहा जाता है, वहां हम इस दुनिया से एक सिक्का भी नहीं ले जा सकते। सब कुछ, सारे रिश्ते पीछे छूट जायेंगे। साथ यदि कुछ जाएगी, तो केवल हमारे द्वारा कमाई गई आध्यात्मिक पूंजी।
मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य अपने भीतर स्थित ईश्वर से जुड़कर भक्ति करना है। भक्ति का अर्थ दुनिया में अपने प्रियजनों व सांसारिक कर्तव्यों को छोड़ कर, आध्यात्मिक विकास के लिए हिमालय की शरण लेना नहीं है। सत्य तो यह है कि जब व्यक्ति आत्मिक स्तर पर ईश्वर से जुड़ा होता है, तो वह सभी सांसारिक कर्तव्यों को भी बेहतर और विवेकपूर्ण ढंग से पूरा करने में सक्षम हो जाता है।
जब हम आत्मिक स्तर पर जागृत होते हैं, तो शारीरिक और मानसिक आयामों का भी स्वतः पोषण होता है। ब्रह्मज्ञान की ध्यान साधना के माध्यम से हमें जीवन में सभी क्षणिक चीजों से ध्यान हटा कर उसे अपनी आत्मा पर केंद्रित करना चाहिए।
सतगुरु जीवन के अंधेरे जंगल में एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। यदि हम उनका अनुसरण करते हुए चलते रहेंगे, तो वे हमें अंधकार से बाहर निकाल लेंगे। यदि कोई अकेले दिव्य मार्ग खोजने की कोशिश करता है, तो उसे मात्र भटकन ही प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक विचारों ने उपस्थित भक्तों और गणमान्य अतिथियों को जीवन के वास्तविक गंतव्य की ओर बढ़ने हेतु प्रेरित किया। उन्हें गुरु के मार्ग पर निरंतर चलते रहने के लिए उत्साहित किया। कार्यक्रम का समापन सामूहिक ध्यान और सबके आत्मकल्याण हेतु प्रार्थना द्वारा किया गया।