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भक्तों में आध्यात्मिकता को बढ़ाने और गुरु-शिष्य बंधन को मजबूत करने के लिए, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक व संचालक, डी.जेजेएस) के पवित्र मार्गदर्शन में, नूरमहल, पंजाब में 10 अप्रैल 2022 को मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में भक्त दिव्य गुरु के दिव्य मार्गदर्शन और सच्ची आध्यात्मिकता का अनुभव करने के लिए एकत्र हुए।

Monthly Spiritual Congregation at Nurmahal, Punjab Unfurled the Treasures of Innate Divinity

कार्यक्रम के दौरान, श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्यों ने गुरु के साथ आध्यात्मिक जुड़ाव को मजबूत करने के तरीकों को बहुत ही प्रेरणादायक ढंग से समझाया। उन्होंने बताया कि कैसे ध्यान का अभ्यास करके मन को नियंत्रित किया जाए और उसे धार्मिकता के मार्ग पर दृढ़ता से आगे बढ़ाया जाए। अपने प्रवचनों में उन्होनें कहा कि 'ब्रह्मज्ञान' ही उस सर्वोच्च शक्ति से जुड़ने का एकमात्र तरीका है। आत्म-साक्षात्कार हमें आत्म-मूल्यांकन करना सिखाता है और हमारे अंदर कृतज्ञता का भाव पैदा करता है। जीवन में आंतरिक आध्यात्मिक उन्नति के लिए भक्ति और कृतज्ञता महत्वपूर्ण उपकरण हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि परम सुख की खोज में मनुष्य अधिक पाप करता है, जो बदले में उसे भौतिकवादी और भीतर से खोखला बनाता है। जब कि सार्वभौम तथ्य यह है कि हम स्थायी शांति की खोज करने की कोशिश बाहरी दुनिया में ही करते रह जाते हैं, जबकि वह कहीं बाहर नहीं हमारे अंदर ही है। उसे पूर्ण गुरु द्वारा दिखाए मार्ग का पालन करके पूरी तरह से महसूस किया जा सकता है।

आगे उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्ण गुरु से पवित्र मार्गदर्शन (ब्रह्मज्ञान) प्राप्त करने के बाद भी, कभी-कभी, हम आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के अपने दिव्य आध्यात्मिक मार्ग को बीच में ही खो बैठते हैं। ऐसी स्थिति में, सतगुरु ही एकमात्र ऐसी सर्वोच्च शक्ति है जो हमें देवत्व के मार्ग पर पुनः बढ़ने के लिए सहारा देकर प्रेरित करते हैं। लेकिन, जैसे एक उल्टा मटका पानी से नहीं भरा जा सकता है, वैसे ही एक शिष्य को भी गुरु के साथ भीतरी संपर्क में रहकर उनकी कृपा के लिए प्रार्थनारत रहना चाहिए।  

Monthly Spiritual Congregation at Nurmahal, Punjab Unfurled the Treasures of Innate Divinity

सारतः स्वामी जी ने कहा कि हमारा हर कार्य; चाहे वह विचार, भाषण या कर्म हो, हमें ईश्वर और पूर्ण सदगुरु को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने हमें अपने दिव्य प्रकाश के दर्शन का मौका दिया। "ब्रह्मज्ञान" की सर्वोच्च शक्ति के साथ, सब कुछ और अपने आस-पास के सभी लोगों को बदला जा सकता है।

फिर सामूहिक ध्यान साधना द्वारा उपस्थित सभी साधक समूह ने मानव कल्याण और विश्व शांति के लिए प्रार्थना की। भंडारे व प्रसाद से कार्यक्रम का समापन हुआ। वहां मौजूद सभी भक्तों व उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों ने सकारात्मक ऊर्जा का सशक्त अनुभव किया। साथ ही, गुरुदेव द्वारा प्रदर्शित मार्ग पर चलने का दृढ़ विश्वास धारण कर व अपने भीतर समभाव से संकल्पित हो सभी शिष्य कार्यक्रम से वापिस लौटे।

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