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21वीं सदी में हम पहले से कहीं ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और पहले से कहीं ज्यादा व्यस्त हैं। आज समाज इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है कि वर्तमान जीवन का आनंद लेने के लिए समय ही नहीं बचा है। हम मशीनों की तरह अपना जीवन जी रहे हैं, हमारे पास अपने लिए भी समय नहीं बचा है। यदि हम अपनी परम चेतना की आंतरिक आवाज को सुनने की कला सीख लेते है तो हम सहजता व कुशलता से इस समस्या को प्रबंधित कर सकते है।

Monthly Spiritual Congregation Emphasized Meditation as Foremost Duty at Divya Dham Ashram, Delhi

दिव्य धाम आश्रम, नई दिल्ली में मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम 2 अक्टूबर, 2019 को आयोजित हुआ जिसके अंतर्गत जीवन की श्रेष्ठ दिशा पाने हेतु हजारों भक्त एकत्रित हुए, जो जीवन में सकारात्मकता लाने में सक्षम है। कार्यक्रम में विद्वत संत समाज द्वारा आध्यात्मिक रूप से प्रेरणादायक विचारों के साथ-साथ भक्ति व उत्साह से ओतप्रोत भक्ति गीत भी शामिल थे।

आध्यात्मिक प्रवचनों ने आज के समय में आध्यात्मिक जागरूकता की आवश्यकता पर तर्कपूर्ण, वैज्ञानिक व शास्त्रीय तथ्यों को रखा। जब ब्रह्मांड नकारात्मकता से भरा होता है, तो यह हमारा मूल कर्तव्य है कि हम इसे संतुलित और शुद्ध करें। हर कोई बंधुत्व, प्रेम और शांति से परिपूर्ण  दुनिया चाहता है लेकिन इसे प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को स्वयं से आरम्भ करना होगा  क्योंकि एक-एक व्यक्ति के परिवर्तन से ही विश्व में परिवर्तन सम्भव है। वर्तमान परिदृश्य में ध्यान समय की आवश्यकता है। ध्यान न केवल बड़े स्तर पर समाज को लाभान्वित करता है बल्कि एक शिष्य के आध्यात्मिक विकास को भी बढ़ावा देता है। गुरु हमेशा अपने शिष्यों की सहायता हेतु उपलब्ध होते हैं ताकि शिष्य अपने भीतर आध्यात्मिकता के सागर में गहराई से गोता लगाने और आध्यात्मिक रत्नों को इकट्ठा करने में सक्षम हो। आध्यात्मिक कल्याण हेतु शिष्य को सदैव कर्मठ रहना चाहिए। जिस प्रकार गुरु संकेत कर सकते हैं कि पानी कहाँ है, परन्तु प्यास बुझाने के लिए शिष्य को ही प्रयास करना होगा। इसी प्रकार आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग गुरु इंगित करते है लेकिन शिष्य को लाभ लेने हेतु उस मार्ग पर स्वयं चलाना होगा। 

Monthly Spiritual Congregation Emphasized Meditation as Foremost Duty at Divya Dham Ashram, Delhi

सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के अनुभवी सन्यासी शिष्यों ने अपने बहुमूल्य अनुभवों को ऊर्जा और समर्पण के साथ “भक्ति-पथ” पर लोगों को आगे बढ़ाने हेतु साझा किया। विभिन्न प्रभावशाली सत्रों के साथ इस तथ्य को समझाया गया कि मात्र आध्यात्मिक जगत में ही शांति का साम्राज्य विद्यमान है और मात्र ध्यान के माध्यम से ही वहां तक पहुंचा जा सकता है। सत्रों ने भक्तों को यह एहसास करवाया कि वे सामान्य नहीं हैं, उनके भीतर ईश्वर का अंश है, जो अत्यधिक शुद्ध, सुंदर, सकारात्मक और जीवन से परिपूर्ण है।

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