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भक्तों को आध्यात्मिक प्रगति की सीढ़ी पर आगे बढ़ने को प्रेरित करने हेतु, दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में 6 नवंबर, 2022 को मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में आध्यात्मिक विचारों, उदाहरणों और संदेशों को उनके प्रचारक शिष्यों द्वारा श्रद्धापूर्वक दिया गया। सत्संग विचारों द्वारा साधकों ने जाना कि चुनौतीपूर्ण समय व परिस्थितियों के बीच, किस प्रकार गुरु की कृपा एवं प्रेरणाएं हममें आध्यात्मिक ऊर्जा भरती हैं तथा संघर्ष का सामना करने में सक्षम बनाती हैं। वेद मंत्रों की गूँजती पावन ध्वनि ने संपूर्ण वातावरण को शांति व दिव्यता से तरंगित कर दिया। दिव्य गुरु के चरण कमलों में प्रार्थना और कई भक्तिमय भजनों ने भक्तों की आत्मा को आंनद से सराबोर किया।

Monthly Spiritual Congregation Highlighted the Significance of Persistence on the Path of Devotion at Divya Dham Ashram, Delhi

अपने शिष्यत्व को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए शिष्य द्वारा समय-समय पर आत्मनिरीक्षण करना अनिवार्य है। एक शिष्य जब इस मार्ग पर नि:स्वार्थ भाव से समर्पण करता है, तो उसे गुरु की अथाह कृपा का अनुभव होता है। ऐसे शिष्य जानते हैं कि केवल गुरु का प्रेम ही उनके भटकते, विचलित मन को नियंत्रित कर सकता है। सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली मन की बाहरी दुनिया की ओर प्रवाहित होने की प्रवृत्ति होती है, जो हमें भक्ति मार्ग से दूर ले जाती है। लेकिन यदि गुरुदेव की आज्ञाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाए, तो वे शिष्यों को हर कदम पर पोषित करने और उन्हें आध्यात्मिकता के उच्च शिखरों पर ले जाने की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।

प्रचारकों ने समझाया कि चूंकि भक्ति पथ का लक्ष्य सामान्य नहीं है, इसलिए गति और चाल भी फिर सामान्य नहीं हो सकती। शिष्यों को एक एथलीट या धावक की तरह निरंतर उत्साहित व ऊर्जावान होने की और एक योद्धा की तरह दृढ़ संकल्प लेने की आवश्यकता होती है। उत्साह इस पथ पर आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने में मदद करता है। ऐसे व्यक्ति के सामने तो स्वयं बाधाएं भी झुक जाती हैं।

Monthly Spiritual Congregation Highlighted the Significance of Persistence on the Path of Devotion at Divya Dham Ashram, Delhi

एक शिष्य को दृढ़ता व निरंतरता के साथ एक योद्धा की तरह इस पथ पर डटे रहना चाहिए, जो हार या गिरने की चोट के बावजूद, युद्ध के मैदान से कभी कदम पीछे नहीं लौटाता। ध्यान, धैर्य और सेवा के प्रति सच्ची निष्ठा एक शिष्य के लिए उसके अस्त्र शस्त्र के समान होते हैं। ऐसे भक्तों को भक्ति मार्ग का योद्धा कहा जाता है।

भजनों एवं सत्संग विचारों से सभी ने यह प्रेरणा पाई कि वो  सतगुरु के सच्चे सहयोगी बन उनके मिशन में अपनी भूमिका पूर्ण रूप से निभाएंगे। प्रत्येक व्यक्ति तक सत्य का संदेश लेकर जाएंगे। सामूहिक ध्यान सत्र और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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