अपने मासिक भजन संकीर्तन व भंडारा कार्यक्रम की श्रृंखला में संस्थान की मुख्य शाखा द्वारा 7 मई को भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया| दिल्ली व आसपास के अनेक क्षेत्रों से भक्त इस कार्यक्रम में शामिल हुए| भारी तादात में संस्थान के दिल्ली, कुतुबगढ़ स्थित दिव्य धाम आश्रम में जुटे श्री आशुतोष महाराज जी के ब्रह्मज्ञान दीक्षित शिष्यों ने भक्ति पथ की मुश्किलों को सिरे से उखाड़ फेंकने का मूलमंत्र जाना| प्रेरणादायक भजनों ने भक्तों में जोश का संचार करते हुए उन्हें हर समस्या के बावजूद भी सत्य पथ पर टिके रहने के लिए प्रेरित किया| वहीं, श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्य व शिष्याओं ने विचारों से गूढ़ तथ्य प्रस्तुत किए| स्वामी विशालानंद जी व स्वामी तेजोमयानंद जी, साध्वी शैलाशा भारती जी व साध्वी श्वेता भारती जी ने इतिहास व आज के समय के बहुत से उदाहरण देकर गुरुभक्तों को समझाया कि मुश्किलें तो संसार में भी आती हैं और भक्ति मार्ग पर भी| संसार की मुश्किलों का सामना कर हम उन्हें हराने की हर सम्भव कोशिश करते हैं लेकिन वहीं भक्ति पथ की परीक्षाएं हमें विचलित कर देती हैं| यहाँ तक कि कभी-कभी साधक पथ से अपने कदमों को ही हटा लेता है| पर जो कदम बढ़ाता नहीं, वो मंजिल को भी कभी पाता नहीं| उन्होंने बताया कि श्री आशुतोष महाराज जी भी अक्सर अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए ‘चरैवेति-चरैवेति’ के महामंत्र को धारण करने की सुप्रेरणा देते हैं क्योंकि ‘गतिमान’ ही लक्ष्य हासिल कर पाता है| नदी बहती रहे तो अपने मीठे पानी से सबकी प्यास बुझाती है पर वही नदी ठहर जाए तो भयंकर सड़ांधयुक्त कीचड़ बन जाती है| इसलिए एक भक्त को भी बिना रुके बढ़ते रहना चाहिए| साथ ही, संस्थान की अनेक उपलब्धियों के बारे में स्वामी नरेन्द्रानंद जी ने सभी को जानकारी मुहैया करवाई| कार्यक्रम का अंत, दिव्य व सकारात्मक तरंगें प्रदान करती सामूहिक साधना व भंडारे से किया गया| इसी दिन, संस्थान की महाराष्ट्र शाखा द्वारा Deshmukh Ali, Chakreshwar Mandir Road, Chakan, Pune में भी भंडारा कार्यक्रम किया गया| लगभग 800 लोगों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाई|
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