मानवीय जीवन की उत्कृष्टता विचारों की स्पष्टता, भावनाओं पर नियंत्रण और सहानुभूति आदि मानवीय गुणों में निहित है।
साधकों की साधकता को दृढ़ करने हेतु देश भर में मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा प्रदत अनेक आध्यात्मिक व ज्ञानवर्धक विचार प्रदान किए जाते हैं। इसी श्रृंखला में 13 मई 2018 को जयपुर, राजस्थान में कार्यक्रम किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ ब्रह्मज्ञानी वेद-पाठियों द्वारा वेद-मंत्रोच्चार से हुआ। वेद-मंत्र गान से स्पंदित वातावरण दिव्यता से परिपूर्ण हो गया। संगीतकार भक्तों ने सतगुरु चरण महिमा व अनेक भक्ति रचनाओं को प्रस्तुत किया। भक्ति संगीत सत्र ने भक्तों को ईश्वर की ओर बढ़ने में सहयोग दिया। तदुपरांत साध्वी जी ने गुरु भक्ति व शिष्य धर्म के विषय में गूढ़ तथ्यों को रखा। उन्होंने बताया कि ब्रह्मनिष्ठ सतगुरु शिष्य के जीवन को श्रेष्ठता प्रदान करने में सक्षम होते है, परन्तु एक शिष्य को गुरु की इस कृपा को पाने हेतु गुरु भक्ति को धारण करना होता है। एक शिष्य के जीवन में गुरु के प्रति पूर्ण विश्वास व आत्मसमर्पण का भाव ही गुरु भक्ति का आधार है। गुरु के अतिरिक्त कोई अन्य इस तथ्य से परिचित नहीं हो सकता कि शिष्य की भक्ति यात्रा के लिए क्या उपयोगी है और क्या अनुपयोगी। शिष्य को सदैव अपने गुरु के वचनों पर विश्वास करना चाहिए। गुरु-शिष्य प्रेम व विश्वास की अनेक गाथाओं ने उपस्थित भक्तों के हृदय को गुरु भक्ति से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित साधकों ने जीवन में नियमित रूप से ऐसे आयोजनों की अनिवार्यता को स्वीकार किया। इन आध्यात्मिक कार्यक्रमों द्वारा शिष्य सत्संग व गुरु भक्ति के महत्व को समझ पाता है। भारी संख्या में गुरु भक्तों ने इस आयोजन में भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में प्रसाद स्वरूप भंडारे की व्यवस्था भी की गयी। साथ ही समाज उत्थान हेतु संस्थान द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक कार्यक्रमों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी। कार्यक्रम की दिव्य तरंगों ने भक्तों के भीतर उत्साह व नवीन ऊर्जा का संचार किया।
“दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान” - सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संचालित व संस्थापित एक गैर लाभकारी, गैर सरकारी प्रमुख सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्थान है।