अत्याचार एवं अन्याय से भरे इस विश्व में ब्रह्मज्ञान ही वो साधन है जो हमें ऐसी परिस्थितियों से लड़ने का सम्बल प्रदान करता है। ब्रह्मज्ञान एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु द्वारा अपने शिष्यों को प्रदान किया जाता है जिसके माध्यम से एक शिष्य अपने ही भीतर स्तिथ परमात्मा का साक्षात्कार कर, आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो पाता है। वास्तव में ध्यान साधना ही हमारी आत्मा का आहार होता है।
दिनांक 9 जून 2019 को जयपुर, राजस्थान में मासिक सत्संग समागम का आयोजन किया गया जिसका उद्देश्य भक्त श्रद्धालुगणों के मध्य आध्यात्मिकता के वास्तविक अर्थ एवं उसके मुख्य पहलुओं से अवगत कराना था। कार्यक्रम का आरम्भ गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के श्री चरणों की वंदना के साथ हुआ। सुमधुर भजनों ने सबको मंत्रमुग्ध एवं भावभीन कर डाला। सत्संग विचारों में साध्वी जी ने बताया कि सेवा एवं साधना आध्यात्मिक उन्नति की कुंजी है। अपने भीतर के विचारों के उफान को साधना रुपी बाँध से ही साधा जा सकता है। साधना के माध्यम से धीरे धीरे हमारे भीतर के नकारात्मक विचार समाप्त होते जाते हैं एवं हमारा मन निर्मल होता है और हम आत्मिक शान्ति की ओर उन्मुख होते हैं।
सेवा के महत्व को समझाते हुए उन्होंने बताया कि सेवा सदैव निस्वार्थ भाव से की जानी चाहिए। उस पर कभी प्रश्नचिन्ह नहीं लगाना चाहिए। सेवा गुरु का प्रसाद होती है इसीलिए उसे सदैव प्रसन्नता से ग्रहण करना चाहिए और पूरी तत्परता से संपन्न करना चाहिए। एक शिष्य को सदैव अपने गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए एवं उन पर पूर्ण विश्वास रखते हुए जीवन की हर परिस्थिति का दृढ़ता से सामना करना चाहिए। इन सभी बातों का पालन करते हुए ही एक शिष्य का जीवन सार्थक होता है। भक्ति एवं भावों से ओतप्रोत इस कार्यक्रम का सभी ने पूरा आनंद उठाया। अंत में भंडारे के साथ इस कार्यक्रम का समापन किया गया।