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आंतरिक आध्यात्मिक समृद्धि की खोज करें। जो आपका वास्तविक रूप हैं व आपकों अनन्त उत्साह, शांति और आनंद प्रदान करने वाला है।

4 नवंबर, 2018 को नई दिल्ली के दिव्य धाम आश्रम में भौतिक जगत से कुछ समय निकाल कर आध्यात्मिक मूल से जुड़ने हेतु सभी भक्तों व साधकों को मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम में  आमंत्रित किया गया। आज के परिदृश्य में, जहां हम लगातार माया (भौतिकवाद) के संपर्क में रहने के कारण हमारे लिए दिव्य ऊर्जा के स्रोत्र ईश्वर से जुड़े रहना कठिन हो जाता है। इसलिए एक साधक व शिष्य को संतों के संग व सत्संग में कुछ समय व्यतीत करना अति महत्वपूर्ण है। दिव्य लक्ष्य की प्राप्ति हेतु इस तरह के कार्यक्रम शिष्यों को दिव्य सत्ता से जुड़ने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कार्यक्रम द्वारा प्रदत आध्यात्मिक प्रवचनों ने वातावरण में दिव्यता का संचार किया। कार्यक्रम में ध्यान के महत्व को समझाने हेतु विशेष सत्र शामिल था। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारकों ने विचारों के माध्यम से कहा कि अज्ञानता के कारण हम स्वयं को मात्र शरीर मानकर भौतिक स्तर तक सिमित रहते है, परन्तु वास्तविकता में हम आत्मा हैं। स्वामी विवेकानंद अपने विचारों में गुरु भक्ति के बारे में कहते हैं: - "आत्मज्ञान, सर्वोच्च ज्ञान है जो शास्त्रों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। चाहे आप सारे संसार का भ्रमण कर लें फिर भी पूर्ण गुरु कृपा के अभाव ने आत्मज्ञान की प्राप्ति सम्भव नहीं है।" एक साधक तब तक पूर्ण संतुष्टि, आनंद और ईश्वर से अटूट संपर्क नहीं कर सकता जब तक की वह अपने गुरुदेव के प्रति पूर्ण समर्पण नहीं कर देता है। गुरु वे दिव्य शक्ति हैं जो अपने शिष्यों को दिव्य प्रेम और पूर्ण ज्ञान द्वारा पोषित करते हुए समाज में व्याप्त बुराइयों से उनका संरक्षण करते हैं। शिष्य अक्षम होने पर भी गुरु अपनी कृपा द्वारा उसे अध्यात्म के मार्ग पर सफलता के चरम पर ले जाते हैं।
 
"दिवाली" पर्व पर विचारों को प्रदान करते हुए बताया गया कि दिवाली मात्र सांस्कृतिक महोत्सव नहीं है, अपितु यह तो आध्यात्मिक उन्नति का एक अवसर है। यह उत्सव भीतरिय आत्मिक दीपक प्रकाशित करने के महत्व को दर्शाता है। नारकसुर और रावण जैसे पात्र नकारात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते है। श्री कृष्ण और श्री राम सात्विक व सकरात्मक ऊर्जा के प्रतीक हैं। दिवाली अज्ञानता पर ज्ञान ऊर्जा की विजय का द्योतक है। यह पर्व अन्तर्मुखी होकर आंतरिक स्तर पर ज्ञान और सत्यता के दीपक को प्रज्वलित करते हुए अज्ञानता को दूर कर अपनी दिव्यता को प्रकाशित करने का अवसर है।

संस्थान प्रचारकों ने उपस्थित लोगों को यही संदेश प्रसारित किया कि "हम दिवाली पर्व पर न केवल बाहरी रोशनी का आनंद लें, बल्कि दैवीय ध्यान के माध्यम से आत्मा से जुड़ें ताकि आंतरिक प्रकाश का अनुभव कर अनन्त उत्साह, शांति और आनंद अनुभव कर सकें।

शिष्यों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा के लिए प्रबुद्ध और प्रेरित किया गया। सभी उपस्थित भक्तों के लिए दिव्य प्रसाद के रूप में भंडारे का आयोजन किया गया। जहां बड़ी संख्या में लोग अपनी निःस्वार्थ सेवा का योगदान देते हैं और दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान परिवार के अभिन्न अंग के रूप में एक साथ दिव्य प्रसाद को ग्रहण करते हैं।

Monthly Spiritual Congregation Reaffirmed need to Enlighten Inner Self at Divya Dham Ashram, Delhi

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