कोई भी बाह्य पदार्थ एवं इंसान आपके कष्टों का अंत कर आपको मोक्ष प्रदान नहीं कर सकते। इसके लिए आपको स्वयं प्रयासरत होना होगा। स्वयं में स्तिथ उस ब्रह्माण्ड को पहचानना होगा। मानव जीवन का लक्ष्य ही उस परमात्मा के आदि नाम से जुड़ना है। जीवन में नाम सुमिरन के महत्व को समझाने हेतु, डीजेजेएस द्वारा 7 अप्रैल 2019 को पंजाब के तरनतारन में मासिक सत्संग समागम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ वेद मन्त्रों के उच्चारण एवं प्रार्थनाओं के साथ किया गया जिससे सम्पूर्ण वातावरण को पवित्रता प्रदान की गई। प्रेरणादायी एवं सकारात्मकता से ओतप्रोत भजनों ने सभी के हृदयों को छू लिया एवं भक्ति के इस मार्ग में अडिगता से चलने के लिए प्रेरित किया।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्यों ने अपने विचारों में बताया कि 84 लाख योनियों में भटकने के बाद एक जीव को मानव योनि प्राप्त होती है, और प्रभु प्राप्ति ही इस मानव तन का प्रमुख लक्ष्य है। सभी प्राणियों में केवल मानव ही एक ऐसा प्राणी है जो कि ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। मानव तन ईश्वर द्वारा प्रदत अनुपम उपहार है जो कि बार बार नहीं मिलता। जीवों के कर्मो के अनुसार ही उन्हें नयी योनि प्रदान की जाती है। श्रेष्ठ कर्मों के द्वारा ही मानव तन को प्राप्त किया जा सकता है अतः ये आवश्यक है कि प्रत्येक श्वांस उस प्रभु का चिंतन करें क्योंकि यह अवसर बार बार प्राप्त नहीं होता।
डीजेजेएस के समर्पित प्रचारकों ने अपने दिव्य अनुभवों एवं विचारों के माध्यम से समझाया कि गुरु के वचन एवं उनके दिखाए मार्ग पर चलना ही प्रत्येक शिष्य का कर्तव्य है। भले ही मनुष्य के पास सभी सांसारिक पदार्थ हो किन्तु आत्मा की तृप्ति प्रभु के वास्तविक सुमिरन से ही होती है। यदि किसी व्यक्ति को भोजन ना मिले तो वह पहले चिडचिडा, फिर उत्तेजित और अंत में कमज़ोर हो जाता है ठीक यही स्तिथि आत्मा की भी है नाम-सुमिरन के अभाव में वह भी अंत में कमज़ोर हो जाती है। आंतरिक रूप से संतुष्ट ना होने का कारण वह अधीर हो उठती है और सांसारिक तत्वों से प्रभावित रहती है। जिस प्रकार भोजन तन को शान्ति प्रदान करता है ठीक उसी प्रकार नाम सुमिरन आत्मा को शान्ति प्रदान करता है। आत्मिक शान्ति को ब्रह्मज्ञान के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है और यह केवल मानव तन में ही संभव है।
कार्यक्रम के अंत में भंडारे का आयोजन किया गया। उपस्थित संगत ने इस कार्यक्रम का पूरा लाभ उठाया और डीजेजेएस के प्रत्येक कार्यकर्ता एवं सेवादारों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।