दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा रुद्रपुर, उत्तराखंड में 15 सितम्बर 2019 को मासिक आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करने हेतु श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम द्वारा ज्ञान एवं भक्ति सूत्रों को जाना। भक्ति का मार्ग कई चुनौतियों के साथ आता है, इसे विजित करने के लिए शिष्य को गुरु की सभी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए। डीजेजेएस प्रतिनिधियों ने विभिन्न आध्यात्मिक शास्त्र-ग्रन्थों द्वारा अनेक दिव्य विचारों को श्रद्धालुओं के समक्ष रखा जिसमें पूर्ण गुरु के आदेश एक शिष्य के लिए जीवन सुरक्षा रेखा के रूप में किस प्रकार कार्य करते हैं, इसपर प्रकाश डाला गया। मुख्य रूप से विचारों की श्रृंखला को ध्यान यानी साधना, सेवा और सत्संग पर केंद्रित करके प्रस्तुत किया गया था। भक्ति पथ पर आगे बढ़ने के लिए साधना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गुरु से जुड़ने और सभी पवित्र गुणों को प्राप्त करने का उचित मार्ग है। साधना भीतर से देवत्व को सक्रिय करती है और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है। साधना के प्रभाव से एक शिष्य के भीतर गुरु के प्रति प्रेम विकसित होता है और वह गुरु के लिए अटूट विश्वास प्राप्त करता है।
सेवा के महत्व को बताते हुए बताया गया कि सेवा ही गुरु को प्रसन्न करने का तरीका है और यही शिष्य के जीवन का परम लक्ष्य भी है। विचारों में इतिहास से अनेक शिष्यों के उदाहरणों को रखते हुए समझाया गया। साथ ही भक्त हनुमान जी की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने भगवान श्री राम की आज्ञाओं को बिना किसी अपेक्षा के पूरा किया था। सेवा भौतिक संसार के बंधन से मुक्त करवाते हुए और मोक्ष के द्वार खोलती है।
साधना और सेवा के महत्व को जानने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से सत्संग में शामिल होना चाहिए। आध्यात्मिक प्रवचनों में भाग लेने का महत्व अपरिहार्य है। यह उन सभी चुनौतियों और परीक्षणों के लिए प्रश्न पत्र को जानने जैसा है जो शिष्य भक्ति के मार्ग पर चलते हैं। नियमित रूप से सत्संग सुनने से आध्यात्मिकता में रुचि पैदा होती है और गुरु और उनके सिद्धांतों के लिए भावनाएं पैदा करने में मदद मिलती है।
अंत में, गुरु दर्शन की प्रासंगिकता को प्रगट करते हुए बताया गया कि आश्रम में नियमित रूप से जाना गुरु दर्शन के समान फलदायक है। एक आदर्श शिष्य बनने के लिए, गुरु की सभी आज्ञाओं का पालन करना होता है एवं नियमित रूप से प्रार्थना करनी होती है। कार्यक्रम का समापन आरती और भंडारे से किया गया।